Pradosh Vrat 2022 : पौष कृष्ण प्रदोष व्रत कब है, जानें शुभ मुहूर्त, लाभ और इसकी पूजाविधि

Pradosh Vrat 2022 : पौष कृष्ण प्रदोष व्रत कब है, जानें शुभ मुहूर्त, लाभ और इसकी पूजाविधि
X
Pradosh Vrat 2022 : पौष मास में कृष्ण पक्ष का प्रदोष व्रत कब किया जाएगा। त्रयोदशी तिथि कब प्रारंभ होगी और त्रयोदशी तिथि कब समाप्त होगी। वहीं प्रदोष व्रत की विधि क्या रहेगी।

Pradosh Vrat 2022 : पौष मास में कृष्ण पक्ष का प्रदोष व्रत कब किया जाएगा। त्रयोदशी तिथि कब प्रारंभ होगी और त्रयोदशी तिथि कब समाप्त होगी। वहीं प्रदोष व्रत की विधि क्या रहेगी।

पौष कृष्ण प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त 2022

पौष कृष्ण प्रदोष व्रत तिथि पौष कृष्ण प्रदोष व्रत तिथि

21 दिसंबर 2022, दिन बुधवार को किया जाएगा।

त्रयोदशी तिथि प्रारंभ

20 दिसंबर 2022 रात्रि 12:48 बजे से

त्रयोदशी तिथि समाप्त

21 दिसंबर 2022 रात्रि रात्रि 10:08 बजे

प्रदोष व्रत में प्रदोष काल के समय यानि संध्याकाल के दौरान जिस दिन त्रयोदशी तिथि पड़ती है, उसी दिन प्रदोष व्रत करने का विधान है। इसीलिए पौष मास में कृष्ण प्रदोष व्रत 21 दिसंबर 2022, दिन बुधवार को किया जाएगा।

वहीं बुधवार के दिन प्रदोष व्रत पड़ने के कारण यह व्रत बुध प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है। इस व्रत को करने से विद्या-बुद्धि का लाभ मिलता है। साथ ही शत्रुओं का विनाश होता है। साथ ही बुधवार के दिन प्रदोष व्रत पड़ने से महादेव के साथ में व्रती को गणपति जी का भी आशीर्वाद मिलता है।

प्रदोष व्रत पूजन विधि

भगवान शिव की प्रसन्नता के लिए प्रदोष व्रत करने का विधान है। यह व्रत महादेव के सभी व्रतों में से सर्वोत्तम व्रत माना जाता है। प्रदोष करने से व्रती को भगवान महाकाल की कृपा शीघ्र ही प्राप्त हो जाती है।

वहीं प्रदोष व्रत करने वाले व्रती को प्रदोष व्रत से एक दिन पूर्व और प्रदोष व्रत के दिन साथ ही प्रदोष व्रत के अगले दिन तक यानि द्वादशी, त्रयोदशी और चतुर्दशी तिथि तक तीन दिन ब्रह्मचर्य व्रत का पालन भी अवश्य करना चाहिए।

वहीं प्रदोष व्रत के दिन प्रात:काल ब्रह्म मुहूर्त में बिस्तर से उठकर स्नान आदि करके भगवान शिव के सम्मुख जाकर प्रदोष व्रत का संकल्प लें। इसके बाद महादेव की विशेष पूजा-अर्चना करें। साथ ही 'ऊँ नम: शिवाय' पंचाक्षरी मंत्र का जाप करें। इस प्रकार प्रदोष व्रत करने से महादेव जी बहुत जल्दी ही प्रसन्न हो जाते हैं।

प्रदोष व्रत वाले दिन शाम को प्रदोष काल यानि संध्या काल के दौरान फिर से भगवान शिव की विशेष पूजा-अराधना करें। इस दौरान महादेव का अभिषेक करें। तथा पूजा के बाद उनके मंत्रों का जाप करें, शिव चालीसा का पाठ करें और अंत में भगवान शिव की आरती करें।

(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।)

Tags

Next Story