पूजन में घंटी कैसी होनी चाहिए, घंटी बजाने के लाभ और समय, आप भी जानें

हमारे नित्य पूजन में कई छोटी-छोटी सामग्री होती हैं जिनका हम पूजन में नित्य प्रयोग करते हैं। लेकिन हम उन चीजों का प्रयोग सही तरीके से करते हैं या नहीं यह हमें सोचना चाहिए।और इन बातों को शास्त्रोक्त तथ्यों से समझना भी चाहिए। पूजन की उन्ही सामग्रियों से एक सामग्री घंटी होती है। और यह एक बड़ा विषय है, और बहुत ही महत्वपूर्ण विषय है कि नित्य पूजा में या हमारे पूजा घर में घंटी कैसी होनी चाहिए। घंटी हम कब बजाते हैं, घंटी पूजा के दौरान कब-कब बजानी चाहिए। और घंटी पर किस देवता का चिन्ह होना चाहिए। और घंटी बजाने से क्या लाभ होते हैं।
घंटी कब बजानी चाहिए
स्नाने धूपे च नैवेधे दीपे वस्त्रे च भूषणे।
घण्टानादं प्रकुर्वीत तता नीराजनेपि च॥
भगवान को स्नान कराते समय घंटी बजाना चाहिए, भगवान को धूप-नैवेद्य अर्पण करते समय घंटी बजाना चाहिए। भगवान को दीप अर्पण करते समय घंटी बजाना चाहिए, भगवान को वस्त्र, अलंकार पहनाते समय घंटी बजाना चाहिए। और जब हम भगवान की आरती करते हैं तो तब हमें घंटी बजाना चाहिए।
आगमार्थन्तु देवानां गमनार्थन्तु राक्षसाम् ।
कुरु घण्टे वरं नादं देवतास्थानसन्निधो ।।
देवताओं के आगमन, राक्षसों के गमन के लिए, पूजा-साधना में कोई अवरोध ना पहुंचे इसलिए हमें सदैव नित्य पूजा में घंटी बजानी चाहिए।
घंटी बजाने के लाभ
स्कंद पुराण के अनुसार भगवान विष्णु कहते हैं कि घंटी मुझे सर्वदा प्रिय है, भगवान विष्णु कहते हैं कि मेरे पूजन के समय घंटी बजाने से 100 कोटि यज्ञ करने का फल मिलता है। और मेरी पूजा के दौरान घंटी बजाने से मोक्ष प्राप्त होता है और घंटी बजाने से सभी पापों का नाश हो जाता है।
घंटी कैसी होनी चाहिए
भगवान विष्णु कहते है कि घंटी के ऊपर गरुड़ का चिन्ह ही होना चाहिए। घंटी बाजार में कई प्रकार की मिलती हैं। लेकिन भगवान विष्णु की नित्यप्रति पूजा में हमें गरुड़ चिन्ह वाली घंटी ही बजानी चाहिए। भगवान विष्णु कहते हैं कि जो गरुड़ चिन्ह से युक्त घंटी-धूप हाथ में लेकर मेरी पूजा-आरती और विलेपन करता है तो वह मनुष्य 100-100 चंद्रायण व्रत करने का फल प्राप्त करता है। और उस मनुष्य के कई जन्मों के पापों का विनाश हो जाता है।
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