Sanatan Dharm: पराई औरत से संबंध बनाने पर भोगनी पड़ती है ऐसी सजा, इन प्रजातियों में मिलता है जन्म

Sanatan Dharm: कभी कभी हम लोग सोचते हैं कि जो कर्म हम लोग कर रहे हैं उसका भुगतान अगर हमें इसी जन्म में मिल जाए तो अच्छा है। अच्छे कर्म का फल अच्छा हो जाए और बुरे कर्मों का फल बुरा। ये व्यक्ति के कर्म ही होते हैं जो उसे जीवनभर खुशी और दु:ख देते रहते हैं। सतानत धर्म के अनुसार व्यक्ति का मौजूदा जीवन ना केवल उसके द्वारा किए जा रहे कर्मों से बनता है बल्कि उसके पिछले जन्म में किए गए अच्छे-बुरे कर्मों का योगदान भी है। तो आइए जानते हैं कि कौन सा कर्म करने से किस योनि में जन्म मिलता है।
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1. पराई औरत से संबंध बनाने पर
जो मनुष्य पराई स्त्री से संबंध बनाता है। उसे भयानक नर्क में जाना पड़ता है। और वहां उसे कई दंड भोगने पड़ते हैं। और इस सबके बाद उसे एक के बाद एक कई जन्म मिलते हैं। जिसमें वह सबसे पहले भेड़िया बनता है। और फिर उसके बाद वह कुत्ते के रुप में जन्म लेता है। इसके बाद वह सियार बनता है। फिर उसका जन्म गीध योनि में होता है। गीध के बाद सांप और सांप के बाद वह कौआ बनता है। इन सभी योनियों में जन्म लेने के बाद अंत में वह बगुले के रुप में पैदा होता है। और बगुले की योनि के बाद उस पुन: मनुष्य योनि प्राप्त होती है।
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2. बड़े भाई का अपमान करने पर
जो व्यक्ति अपने बड़े भाई का अपमान करता है उसे समाज के सामने नीचा दिखाता है, अगले जन्म में वह व्यक्ति क्रोंच नाम के पक्षी के रुप में जन्म लेता है। इस जन्म को वह दस वर्षों तक भोगता है। और यदि भगवान की कृपा हो जाए तो ही उसे अगले जन्म में मनुष्य की योनि मिलती है। अन्यथा नहीं।
3. स्वर्ण की चोरी करने पर
यदि आप इस जन्म में पाप कर रहे हैं तो इसका भुगतान भी अगले जन्म में करना होगा। महर्षि व्यास के अनुसार स्वर्ण की चोरी करने वाला व्यक्ति कीड़े के रुप में जन्म लेता है। चांदी की चोरी करने वाला व्यक्ति कबूतर बनता है। वस्त्रों की चोरी करने वाला तोता बनता है। और सुगंधित पदार्थों की चोरी छछूंदर बनता है। और किसी धारदार हथियार से किसी की हत्या करने वाले व्यक्ति को गधे की योनि प्राप्त होती है। गधे की योनि त्यागने के बाद उसे मृग की योनि प्राप्त होती है। और इस जन्म में उसकी हत्या भी किसी धारदार हथियार से ही होती है। मृग के बाद मछली, कुत्ता, बाघ और अंत में मनुष्य योनि प्राप्त होती है।
4. कौआ की योनि
देवताओं और पुत्रों को संतुष्ट किए बिना मरने वाला व्यक्ति 100 साल तक कौआ की योनि में रहता है। इसलिए कहा जाता है कि श्राद्ध करते समय कौआ को अवश्य भोजन कराएं। ताकि पितृगण संतुष्ट हो सकें। और कौआ के बाद मुर्गा, फिर सांप की योनि प्राप्त होती है। उसके बाद उसके पापों का अंत होता है और वह पुन: मनुष्य योनि को प्राप्त करता है।
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