दूसरे व्यक्ति की पत्नी को गलत नीयत से देखने पर मिलती है ये कठोर सजा, जानिए...

दूसरे व्यक्ति की पत्नी को गलत नीयत से देखने पर मिलती है ये कठोर सजा, जानिए...
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व्यक्ति को कभी भी किसी पराई स्त्री या स्त्री को कभी भी पराए पुरूष को गलत दृष्टि से नहीं देखना चाहिए। क्योंकि हिन्दू धर्मशास्त्रों में इसके लिए बहुत ही कड़ी सजा बताई गई है।

व्यक्ति को कभी भी किसी पराई स्त्री या स्त्री को कभी भी पराए पुरूष को गलत दृष्टि से नहीं देखना चाहिए। क्योंकि हिन्दू धर्मशास्त्रों में इसके लिए बहुत ही कड़ी सजा बताई गई है। हिन्दू धर्मशास्त्रों के अनुसार 28 प्रकार के नरकों का वर्णन मिलता है। जिनका वर्णन श्रीशुकदेव भगवान ने भी राजा परीक्षित को भगवान की कथा सुनाते हुए किया है। तो आइए आप भी जानें पराई स्त्री अथवा पराए मर्द को गलत नजरों से देखने की सजा के बारे में।

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शास्त्रों के अनुसार तामिस्त्र, अंधसिस्त्र, रौवर, महारौवर, कुम्भीपाक, कालसूत्र, आसिपंवन, सकूरमुख, अंधकूप, मिभोजन, संदेश, तप्तसूर्मि, वज्रकंटकशल्मली, वैतरणी, पुयोद, प्राणारोध, विशसन, लालभक्ष, सारमेयादन, अवीचि, और अय:पान, इसके अलावा क्षरकर्दम, रक्षोगणभोजन, शूलप्रोत, दंदशूक, अवनिरोधन, पर्यावर्तन और सूचीमुख आदि 28 प्रकार के नरक बताए गए हैं। जबकि वायु पुराण और विष्णु पुराण में भी अनेक नरककुंडों के नाम लिखे हैं। जिनमें वसाकुंड, तप्तकुंड, सर्पकुंड और चक्रकुंड आदि प्रमुख हैं। और इन नरककुंडों की संख्या 86 मानी गई है।

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शुकदेव मुनि से इस प्रकार 28 प्रकार के नरक कुंडों का वर्णन सुनकर राजा परीक्षित भय के कारण थरथर कांपने लगते हैं। और शुकदेव मुनि ने बताया कि यदि व्यक्ति पाप करेगा तो नरक अवश्य जाएगा। इस पर राजा परीक्षित को लगा कि हमने भी तो कोई ना कोई पाप अवश्य ही किया होगा। और राजा परीक्षित यह सब सोचकर डर गए।

उसके बाद भगवान श्रीशुकदेव जी बोले हे राजन जो पुरूष पराई नारी पर दृष्टि डालते हैं और जो स्त्री पराए पुरूष पर दृष्टि डालती है, उसे कुम्भीपाक नरक में जाना पड़ता है। वहां लोहे की तपती हुई गर्म महिला स्त्री है और उस पापमय व्यक्ति की जीवात्मा को उससे चिपकाया जाता है।

और यदि स्त्री ने किसी पराए पुरुष को गलत नजरों से देखा तो उसे लोहे के गर्म पुरुष से चिपकाया जाता है। और उन लोगों पर कोड़े बरसाए जाते हैं। और ऐसे लोगों को बहुत प्रकार की यातनाएं दी जाती हैं। ऐसे ही जो व्यक्ति पाप करता है नरक में जाकर उसकी भी धुलाई की जाती है। जैसे धोबी कपड़ों की धुलाई करता है। यानि धोबी कपड़ों की गंदगी को साफ करता है वैसे ही नरक में जीवात्मा की गंदगी साफ की जाती है।

इसलिए व्यक्ति को अपने जीवन में कभी भी किसी दूसरे व्यक्ति अथवा प्राणी का अहित नहीं करना चाहिए क्योंकि परमात्मा सब कुछ देख रहे होते हैं। उनसे तीनों लोकों में कुछ भी छिपा नहीं रहता है।

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