पुरुषोत्तम मास होता है बहुत पुण्य प्रतापी मास, आप भी जानें

अधिक मास, मलमास, पुरुषोत्तम मास आदि अधिक मास के अनेक नाम हैं। पुरुषोत्तम मास एक स्पेशल मास होता है। क्योंकि जिस मास में सूर्य की संक्रांति नहीं होती है उसे अधिक मास कहते हैं। जिस मास में कोई भी शुभ कार्य जैसे गृहप्रवेश, नए मकान का निर्माण, शादी-विवाह जैसे मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं परन्तु धार्मिक कार्यों के लिए तो अधिक मास अमृत तुल्य माना जाता है। इस मास में धार्मिक कार्यों को करने से उनका करोड़ों गुना फल मिलता है। अधिक मास बहुत पुण्यप्रतापी मास होता है।
मलमास में अधिक से अधिक अपने गुरु के द्वारा दिए गए मंत्र का जाप करना चाहिए। अधिक मास में तीर्थों में यात्रा आदि करनी चाहिए। तीर्थों में किसी भी नदी अथवा सरोवर में स्नान करने से बहुत अधिक पुण्य प्राप्त होता है।
अधिक मास में अधिक से अधिक श्रीहरि विष्णु भगवान का पूजन, श्रीकृष्ण भगवान का पूजन करना चाहिए। इस मास में श्रीमद्भागवत महापुराण का श्रवण और आयोजन करना चाहिए।
अधिक मास में दीपदान करने का बहुत बड़ा महत्व होता है। जो भी व्यक्ति तीर्थ स्थानों में जाकर नदियों और सरोवर आदि में दीपदान करता है उसके घर में सुख-समृद्धि, संपत्ति हमेशा बनी रहती है। मलमास में दीपदान करने का बहुत बड़ा फल मिलता है।
मनुष्य जीवन व्यक्ति को आत्मकल्याण के लिए मिलता है। इसलिए अधिक मास में आपके द्वारा किया गया छोटा सा पुण्य भी बहुत बड़ा फल लेकर आपके पास आता है। इसलिए अधिक मास में जितना संभव हो सके व्यक्ति को अपने आत्म कल्याण के मार्ग पर इस मास में अग्रसर होना चाहिए और अपना तथा अपने परिजनों का कल्याण करना चाहिए।
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