Radha Ashtami 2020 Kab Hai : राधा अष्टमी 2020 में कब है, जानिए शुभ मुहूर्त, महत्व, पूजा विधि , कथा , मंत्र और आरती

Radha Ashtami 2020 Kab Hai: भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव यानी कृष्ण जन्माष्टमी (Janmashtami) के पंद्रह दिन बाद राधा अष्टमी का पर्व मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार राधा जी के पिता का नाम वृषभानु और उनकी माता का नाम कीर्ति था। राधा जी (Radha Ji) वृषभानु यज्ञ भूमि साफ करते हुए मिली थी। जिनका वृषभानु ने बहुत ही प्यार से लालन पोषण किया। राधा अष्टमी का पर्व मथुरा, वृंदावन और बरसाने में बड़ी ही धूमधाम से मनाते हैं तो आइए जानते हैं राधा अष्टमी 2020 में कब है, राधा अष्टमी का शुभ मुहूर्त, महत्व, पूजा विधि , कथा , मंत्र और आरती।
राधा अष्टमी 2020 तिथि (Radha Ashtami 2020 Tithi)
26 अगस्त 2020
राधा अष्टमी 2020 शुभ मुहूर्त (Radha Ashtami 2020 Subh Muhurat)
सर्वार्थ सिद्धि योग- सुबह 5 बजकर 56 मिनट से दोपहर 1 बजकर 4 मिनट तक
अष्टमी तिथि प्रारम्भ - दोपहर 12 बजकर 21 मिनट से (25 अगस्त 2020 )
अष्टमी तिथि समाप्त - सुबह 10 बजकर 39 मिनट तक (26 अक्टूबर 2020)
राधा अष्टमी का महत्व (Radha Ashtami Ka Mahatva)
भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को राधा अष्टमी का पर्व मनाया जाता है। राधा अष्टमी कृष्ण जन्माष्टमी के पंद्रह दिनों के बाद आती है। शास्त्रों के अनुसार द्वापर युग में इस दिन राधा जी का जन्म हुआ था। राधा जी के बिना भगवान श्री कृष्ण की पूजा अधूरी मानी जाती है। जो लोग जन्माष्टमी का व्रत करते हैं और राधा अष्टमी का व्रत नहीं करते उन्हें जन्माष्टमी के व्रत का पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता। राधा अष्टमी का पर्व बरसाने में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। राधा जी के पिता का नाम वृषभानु और उनकी माता का नाम कीर्तिजी था।
राधा अष्टमी के दिन राधा जी की पूजा अकेले नहीं की जाती बल्कि उनकी पूजा भगवान श्री कृष्ण के साथ की जाती है। राधा अष्टमी का व्रत करने से मनुष्य को अपने जीवन की सभी सुख सुविधाएं सहज ही प्राप्त हो जाती हैं। इस दिन राधा जी को वल्लभा नाम से पुकार कर संबोधित किया जाता है। राधा अष्टमी के दिन मथुरा, वृंदावन और बरसाना के मंदिरों में भगवान श्री कृष्ण और राधा जी के दर्शनों के लिए भीड़ लगी रहती है। लोग कृष्ण जन्माष्टमी के दर्शनों के बाद मथुरा, वृंदावन और बरसाना के मंदिरों में राधा जी के दर्शन अवश्य करते हैं।
राधा अष्टमी पूजा विधि (Radha Ashtami Ki Puja Vidhi)
1. राधा अष्टमी के दिन जातक को सूर्योदय से पहले उठकर नहाकर साफ वस्त्र धारण करने चाहिए।
2. इसके बाद एक साफ चौकी लेकर उस पर लाल या पीला कपड़ा बिछाकर भगवान श्री कृष्ण और राधा जी की प्रतिमा स्थापित करनी चाहिए।
3. इसके बाद दोनों को पंचामृत से स्नान कराकर उन्हें वस्त्र पहनाकर उनका श्रृंगार करना चाहिए।
4. इसके बाद उस चौकी पर कलश स्थापित करें और उस कलश का भी पूजन करें।
5. इसके बाद भगवान श्री कृष्ण और राधा जी को पुष्प, फल,फूल मिठाई आदि अर्पित करना चाहिए।
6. इसके बाद पूरे विधि विधान के साथ राधा कृष्ण की पूजा करनी चाहिए और भगवान श्री कृष्ण और राधा जी के मंत्रों का जाप करना चाहिए।
7. इसके बाद राधा कृष्ण की कथा सुननी चाहिए अथवा पढ़नी चाहिए।
8. इसके बाद राधा कृष्ण को मिठाई का भोग लगाना चाहिए।
9. मिठाई का भोग लगाने के बाद उनकी धूप व दीप से आरती उतारनी चाहिए और उनसे अपने मंगल की कामना करनी चाहिए।
10. इस दिन केवल फलों का ही सेवन करना चाहिए और रात के समय में राधा कृष्ण का जागरण करना चाहिए।
राधा अष्टमी की कथा (Radha Ashtami Ki Katha)
पद्मपुराण के अनुसार राधा जी को वृषभानु की पुत्री बताया गया है। इस ग्रंथ के अनुसार जब राजा यज्ञ के लिए भूमि को साफ कर रहे थे। तब भूमि कन्या के रूप में इन्हें राधा जी की प्राप्ति हुई थी। राजा ने इस कन्या को अपनी पुत्री मानकर लालन पालन किया। वृषभानु ने उस कन्या का नाम राधा रखा। जिस समय भगवान श्री कृष्ण का जन्मदिन मनाया जा रहा था। तब राधा जी की माता महारानी कीर्ति राधा जी को लेकर गोकुल नंद और यशोदा के यहां पहुंची थी। उस समय भगवान श्री कृष्ण उस समय अपने झूले में झूल रहे थे और राधा जी और भगवान श्री कृष्ण एक दूसरे को बड़ी गोर से देख रहे थे।
पुराणों के अनुसार भगवान श्री कृष्ण और राधा जी उम्र में 11 महिने का अंतर माना जाता है। जिस समय भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था। उस समय राधा जी 11 महिने की हो चुकी थी। द्वापर युग में भगवान विष्णु ने श्री कृष्ण और माता लक्ष्मी ने राधा जी के रूप में जन्म लिया था। भगवान श्री कृष्ण और राधा जी का विवाह नहीं हो सका था। लेकिन फिर भी इन्हें एक साथ ही पूजा जाता है। माना जाता है कि भगवान श्री कृष्ण के बिना राधा जी अधूरी हैं और राधा जी के बिना भगवान श्री कृष्ण इसलिए राधा अष्टमी पर भगवान श्री कृष्ण की पूजा होती है।
राधा जी के मंत्र (Radha Ji Ke Mantra)
1.ॐ ह्रीं श्रीराधिकायै नम:।
2.ॐ ह्रीं श्रीराधिकायै विद्महे गान्धर्विकायै विधीमहि तन्नो राधा प्रचोदयात्।
3.श्री राधा विजयते नमः
4. श्री राधाकृष्णाय नम:
राधा जी की आरती (Radha Ji Ki Aarti)
आरती राधाजी की कीजै। टेक...
कृष्ण संग जो कर निवासा, कृष्ण करे जिन पर विश्वासा।
आरती वृषभानु लली की कीजै। आरती...
कृष्णचन्द्र की करी सहाई, मुंह में आनि रूप दिखाई।
उस शक्ति की आरती कीजै। आरती...
नंद पुत्र से प्रीति बढ़ाई, यमुना तट पर रास रचाई।
आरती रास रसाई की कीजै। आरती...
प्रेम राह जिनसे बतलाई, निर्गुण भक्ति नहीं अपनाई।
आरती राधाजी की कीजै। आरती...
दुनिया की जो रक्षा करती, भक्तजनों के दुख सब हरती।
आरती दु:ख हरणीजी की कीजै। आरती...
दुनिया की जो जननी कहावे, निज पुत्रों की धीर बंधावे।
आरती जगत माता की कीजै। आरती...
निज पुत्रों के काज संवारे, रनवीरा के कष्ट निवारे।
आरती विश्वमाता की कीजै। आरती राधाजी की कीजै...
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