Raksha Bandhan 2021 : राखी बांधते समय बहनें करें इस मंत्र का जाप, जानें रक्षाबंधन का महत्व और कथा

Raksha Bandhan 2021 : राखी बांधते समय बहनें करें इस मंत्र का जाप, जानें रक्षाबंधन का महत्व और कथा
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  • हिन्दू धर्म में रक्षाबंधन का बड़ा ही अधिक महत्व है।
  • रक्षाबंधन को भाई-बहन के प्रेम का पर्व भी माना जाता है।

Raksha Bandhan 2021 : हिन्दू धर्म में रक्षाबंधन (Raksha Bandhan) का बड़ा ही अधिक महत्व है। इस दिन को भाई-बहन के प्रेम (brother and sister Love) का पर्व (festival) भी माना जाता है। रक्षाबंधन के दिन बहनें अपने भाईयों की कलाई पर राखी (Rakhi) बांधकर उनसे अपनी रक्षा (Raksha) का वचन लेती हैं। वहीं अगर राखी को शुभ मुहूर्त (Shubh Muhurat) में और राखी मंत्र (Rakhi mantra) के साथ भाई की कलाई पर बांधा जाए तो राखी बहुत शुभ फल (Shubh Phal) तो देती ही है और भाई को अनेक व्याधियों और नजर दोष से भी बचाती है। तो आइए जानते हैं राखी बांधने का मंत्र, रक्षाबंधन का महत्व और कथा के बारे में...

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रक्षाबंधन का महत्व

रक्षाबंधन को भाई बहन के अटूट प्रेम का त्योहार है। रक्षाबंधन दो शब्दों से मिलकर बना है रक्षा + बंधन जिसका अर्थ है रक्षा के बंधन में बंधना । रक्षा बंधन के दिन एक भाई अपनी बहन को उसक हर प्रकार से रक्षा का वचन देता है। इस दिन एक बहन अपने भाई को राखी बांधकर उससे अपनी रक्षा का वचन लेती है और भाई भी अपनी बहन के सभी दायित्वों का भार अपने ऊपर लेकर उसकी हर प्रकार से रक्षा का वचन देता है।

रक्षाबंधन के दिन कलाई पर बांधा गया राखी का धागा सिर्फ एक धागा नहीं होता बल्कि यह भाई - बहन के प्रेम का सूत्र होता है। बहन अपने भाई को राखी इसलिए भी बांधती है ताकि उसके जीवन पर किसी भी प्रकार कोई संकट न आ सके। बहन इस दिन अपने भाई के लिए व्रत रखती है और तब तक कुछ भी नही खाती जब तक वह अपने भाई को राखी न बांध दे। राखी का रक्षाबंधन का धागा एक ऐसा कवच होता है। जिसे यमराज भी नही भेद सकता।

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रक्षाबंधन पूजा विधि

  • रक्षाबंधन के दिन सबसे पहले महिलाएं सुबह जल्दी उठकर स्नान करके साफ वस्त्र धारण करें।
  • इसके बाद आटे से चौक पूजकर मिट्टी के एक कलश की स्थापना करें।
  • एक थाली में रोली, अक्षत, कुमकुम, मिठाई, घी का दीया और राखी रखें।
  • इसके बाद भाई को पूर्व दिशा की ओर बैठाकर रोली से उसका तिलक करें और उसके दहिने हाथ की कलाई पर राखी बांधें।
  • राखी बांधने के बाद अगर भाई छोटा है तो उसे आशीर्वाद दें और बड़ा है तो उससे आशीर्वाद लें।

राखी बांधने का मंत्र

येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:।

तेन त्वामनुबध्नामि रक्षे मा चल मा चल।।

रक्षाबंधन की कथा

रक्षाबंधन का त्योहार पौराणिक काल से ही मनाया जा रहा है। राखी या रक्षासूत्र सबसे पहले राजा बली को बांधा गया था। राजा बलि को मां लक्ष्मी ने अपना भाई मानकर उन्हें राखी बांधी थी। राजा बलि ने अपने 100 यज्ञ पूरे करके स्वर्ग लोक पर कब्जा करने के लिए स्वर्गलोक पर आक्रमण कर दिया था। इसके बाद देवराज इन्द्र ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की। भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर राजा बलि से भिक्षा में तीन पग जमीन मांगी।

भगवान ने दो पग में सारी धरती नाप ली और फिर तीसरा पग जमीन देने के लिए तब राजा बलि से कहा। इस पर राजा बलि समझ गया कि वामन रूप में दिख रहा यह कोई भिखारी नहीं है, ये स्वयं भगवान श्रीहरि नारायण हैं। तीसरे पग के रूप में राजा बलि ने अपना सिर भगवान विष्णु के आगे झुका दिया। भगवान विष्णु राजा बलि की भक्ति से बहुत प्रसन्न हुए और वर मांगने को कहा। तो राजा बलि ने भगवान से कहा कि, वे स्वयं उसके दरवाजे पर रात दिन खड़े रहें और उसके बाद भगवान विष्णु स्वयं राजा बलि के पहरेदार बन गए।

कहा जाता है कि काफी दिन बीत जाने पर जब भगवान विष्णु अपने लोक वापस नहीं पहुंचे, तब माता लक्ष्मी ने राजा बलि के पास जाकर उन्हें अपना भाई बना लिया और उन्हें रक्षासूत्र बांधा। जिसके बाद मां लक्ष्मी ने उपहार के रूप में राजा बलि से भगवान विष्णु को मांग लिया। जिस समय यह पूरी घटना हुई थी। उस समय श्रावण मास की पूर्णिमा थी। उसी दिन से रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाने लगा।

(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)

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