Raksha Bandhan 2020 Start Date : रक्षाबंधन की पांच पौराणिक मान्यताएं जो शायद ही आपको पता होगी

Raksha Bandhan 2020 Start Date : रक्षाबंधन 3 अगस्त 2020 (Raksha Bandhan 3 August 2020) को मनाया जाएगा। भाई बहन के अटूट प्रेम के इस पर्व को सदियों से मनाया जा रहा है। रक्षाबंधन के बारे में हिंदू धार्मिक ग्रंथों में भी बताया गया है तो आइए जानते हैं रक्षाबंधन की पांच पौराणिक मान्यता (Raksha Bandhan Ki Pauranik Manyata) जो शायद ही आप जानते होंगे।
रक्षाबंधन की पांच पौराणिक मान्यताएं (Raksha Bandhan Ki Panch Pauranik Manyata)
1.वैदिक काल से ही हमारे देश में रक्षासूत्र को कलाई पर बांधन की परंपरा चली आ रही है। इस काल में जब भी कोई युद्ध, यज्ञ, शिकार, किसी कार्य का संकल्प या फिर किसी भी धार्मिका कार्य को करता था तो उसके हाथ पर सूत का धागा जरूर बांधा जाता था। जिसे रक्षासूत्र भी कहा जाता है। जिसे आज के समय में बहन अपने भाई की कलाई पर बांधकर उसके मंगल की कामना करती है।
2.भविष्य पुराण के अनुसार एक बार देवताओं और असुरों में युद्ध हुआ। जिसमें देवता हार रहे थे। देवताओं को हारता हुआ देखकर इंद्र देव गुरु बृहस्पति के पास गए और उनसे इस समस्या का हल पूछा। तब देवगुरु बृहस्पति ने मंत्रो से अभिमंत्रित एक धागा इंद्राणी को इंद्र की कलाई पर बांधने के लिए कहा। जिसके बाद इंद्र ने असुरो पर विजय प्राप्त की थी। जिस दिन इंद्राणी ने इंद्र को यह धागा बांधा था। वह दिन श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि का था
3.स्कंद पुराण, भागवत पुराण और पद्मपुराण के अनुसार जब भगवान विष्णु ने वामन रूप लेकर राजा बलि से तीन पग धरती मांगी थी। तब राजा बलि के उस दान से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उन्हें पाताल लोक का राजा बना दिया था और राजा बलि ने भगवान विष्णु से दिन रात अपने सामने रहने का वरदान मांगा था। जिसके बाद लक्ष्मी जी को भगवान विष्णु को वापस पाने के लिए पाताल लोक जाना पड़ा था और पाताल लोक जाकर उन्होंने एक बुढ़िया के रूप में राजा बलि को रक्षासूत्र बांधकर भाई बना लिया था और भगवान विष्णु को पुन: प्राप्त किया था।
4.जैन धर्म के अनुसार राजा श्रीवर्मा के मंत्री, बलि नमुचि,और प्रह्लाद थे। जिन्हें जैन मुनि ने अपमान करके निकाल दिया था। जिसके बाद वह राजा पद्मराय के यहां चले गए।जहां बलि ने उनकी बहुत सेवा की और उससे वर मांगने के लिए कहा। एक बार जब अकंपचार्य मुनि अपने 700 शिष्यों के साथ राजा पद्मराय के यहां आए और तब ही बलि ने अपना वर मांग लिया। बलि ने अंकचार्य सहित उनके सभी शिष्यों को मारने की योजना बनाई लेकिन तभी विष्णुकुमार ने ब्राह्मण रूप रखकर बलि से तीन पग धरती मांग ली।जिसकी वजह से मुनियों और उनके शिष्यो की रक्षा हुए यह दिन श्रावण मास की पूर्णिमा तिथी का ही था।
5.द्वापर युग में एक बार भगवान श्रीकृष्ण के हाथ में चोट लग गई जिसमें से खून बहने लगा। तब द्रौपदी ने अपनी साड़ी फाड़कर भगवान श्रीकृष्ण के उस घाव पर बांध दी।जिसके बाद जब दुश्सान द्रौपदी का चीर हरण किया था तब भगवान श्री कृष्ण द्रौपदी की सहायता की थी।
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