Solar Eclipse December 2020 : सूर्य ग्रहण के दौरान क्या करें, क्या ना करें, जानिए़...

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By - Keshav Sharma |9 Dec 2020 10:36 PM IST
Solar Eclipse December 2020 : 14 दिसंबर 2020 को साल का अंतिम सूर्य ग्रहण लगने वाला है। सूर्य ग्रहण के दौरान क्या करें (What to do during solar eclipse) और सूर्य ग्रहण के दौरान क्या ना करें (What not to do during solar eclipse)। आइए जानते हैं।
Solar Eclipse December 2020 : 14 दिसंबर 2020 को साल का अंतिम सूर्य ग्रहण लगने वाला है। सूर्य ग्रहण के दौरान क्या करें (What to do during solar eclipse) और सूर्य ग्रहण के दौरान क्या ना करें (What not to do during solar eclipse)। आइए जानते हैं।
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- सूर्य ग्रहण के दौरान मंत्र जाप ना करने से मंत्र को मलीनता प्राप्त हो जाती है।
- 'ऊँ ह्रां ह्रीं स: सूर्याय नम:।' इस मंत्र से आपके सूर्य केन्द्र और बुद्धि केन्द्र का विकास होता है।
- ग्रहण के समय गायों को घास, पक्षियों को अन्न, जरुरतमंदों को वस्त्र दान करने से अनेक गुना पुण्य प्राप्त होता है। ग्रहण को बिलकुल ना देखें और ग्रहण के दौरान बाहर भी बिलकुल ना निकलें।
- ग्रहण के पहले का बनाया हुआ अन्न ग्रहण के बाद त्याग देना चाहिए। लेकिन ग्रहण के पूर्व से रखा हुआ दही, उबला हुआ दूध, छाछ, घी, कच्चा दूध या तेल इनमें से किसी में सिद्ध किया हुआ अर्थात ठीक से पकाया हुआ अन्न (पूड़ी आदि) ग्रहण के बाद भी सेवनीय हैं। परन्तु ग्रहण के पूर्व इनमें कुशा या तुलसीदल डालना आवश्यक होता है।
- ग्रहण का कुप्रभाव वस्तुओं पर ना पड़े इसलिए मुख्यरुप से कुशा का उपयोग होता है। इससे पदार्थ अपवित्र होने से बचता है। कुशा उपलब्ध नहीं हो तो तिल डाल दें। या आप तुलसीदल यानि तुलसी के पत्ते का भी उपयोग कर सकते हैं। किन्तु दूध या दूध से बने व्यंजनों में तिल या तुलसी के पत्ते ना डालें।
- ग्रहण के सूतक से पूर्व गंगाजल पिएं।
- ग्रहण काल में तेल-मालिश करने या उबटन लगाने से कुष्ठरोग होने की संभावना बढ़ जाती है।
- ग्रहण के दौरान जीव-जन्तु या किसी प्राणी की हत्या करने वाले को नारकीय योनियों में जाना पड़ता है।
- ग्रहण के दौरान पत्ते, तिनके, लकड़ी, फूल आदि भी ग्रहण के दौरान ना तोड़ें।
- ग्रहण के दौरान अगर आप चिंता करते हैं तो आपकी बुद्धि का नाश होता है।
- ग्रहण के दौरान दंतधावन यानि ब्रश आदि ना करें।
- भूकंप और ग्रहण के दौरान पृथ्वी को खोदना नहीं चाहिए।
- ग्रहण के दौरान हंसी-मजाक, नाच-गाना, ठिठोली आदि न करें। क्योंकि ग्रहणकाल उस देवता के लिए संकट का काल है। उस समय ग्रह पीड़ा में होते हैं।
- ग्रहण के दौरान भगवान नाम, जप, कीर्तिन, ओमकार का जप आदि करने से संबंधित ग्रह एवं जाप करने वाले दोनों का ही हित होता है।
- सूर्य ग्रहण में चार प्रहर (12 घंटे) और चंद्र ग्रहण में तीन प्रहर (9 घंटे) पूर्व भोजन नहीं करना चाहिए। ग्रहण के दौरान भोजन करने वाला व्यक्ति अधेगति को प्राप्त होता है। लेकिन यह बालक, वृद्ध और बीमार व्यक्ति पर लागू नहीं होता है।
- ग्रहण के अवसर पर दूसरे व्यक्ति का अन्न खाने से 12 वर्षों का एकत्र किया हुआ पुण्य नष्ट हो जाता है।
- ग्रहण के दौरान जो व्यक्ति नींद लेता है उसके बीमार होने की संभावना बढ़ जाती है।
- ग्रहण काल में स्पर्श किए हुए वस्त्र आदि की शुद्धि हेतु बाद में उसे धो देना चाहिए। और स्वयं भी पहने हुए वस्त्र सहित स्नान करना चाहिए।
- ग्रहण के दौरान आसन, गोमुखी व मंदिर में बिछा हुआ कपड़ा भी धो देना चाहिए। और दूषित ओरा के शुद्धिकरण हेतु गोमूत्र या गंगाजल का छिड़कांव पूरे घर में करना चाहिए।
- ग्रहण के दौरान खाद्य वस्तु में डाले गए कुशा एवं तुलसीपत्र को निकाल देना चाहिए।
- ग्रहण के स्नान में कोई मंत्र नहीं बोलना चाहिए।
- ग्रहण के बाद सूर्य या चंद्र जिसका ग्रहण हो उसका शुद्ध बिम्ब देखकर भोजन करना चाहिए।
- ग्रहण के दौरान गर्भवती चाकृ, कैंची, पेन, पेन्सिल जैसी नुकीली चीजों का प्रयोग ना करें। क्योंकि इससे शिशु के होठ कटने की संभावना होती है।
- गर्भिणी अगर चश्मा लगाती हो और चश्मा लोहे का हो तो ग्रहण काल तक उसे निकाल देना चाहिए। बालों में लगी पिन और नकली गहने भी उतार दें।
- ग्रहण के दौरान स्वास्थ्य मंत्र और ब्रह्मचर्य मंत्र भी जप लेना चाहिए।
- ग्रहण काल में गले में तुलसी की माला या चोटी में कुशा धारण करें।
- सूर्य ग्रहण के दौरान रूद्राक्ष की मा धारण करने से सभी प्रकार के पाप नष्ट हो जाते हैं।
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