Ratna Shastra: जानें गोमेद रत्न धारण करने के लाभ और नियम

Ratna Shastra: जानें गोमेद रत्न धारण करने के लाभ और नियम
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Ratna Shastra: रत्न शास्त्र में सबसे लाभदायक गोमेद रत्न को माना गया है। ऐसा कहा जाता है कि जो जातक गोमेद रत्न को धारण करता है। उसके जीवन में किसी भी प्रकार की कोई कमी नहीं रहती है। तो आइए जानते हैं इस रत्न के बारे में...

Ratna Shastra: ज्योतिष शास्त्र में गोमेद को एक बेहद ही खूबसूरत और महत्वपूर्ण रत्न (Ratna) माना गया है। ऐसी मान्यता है कि जो जातक गोमेद स्टोन को धारण कर लेता है। उसका जीवन सफल हो जाता है। गोमेद रत्न को सभी रत्नों में लाभदायक माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जो जातक गोमेद रत्न धारण करता है उसकी कुंडली से राहु के दुष्प्रभावों को खत्म कर देता है। ऐसी मान्यता है कि जो जातक गोमेद रत्न धारण करता है उसे कभी भी भूलकर माणिक्य रत्न, मूंगा रत्न और पुखराज रत्न नहीं धारण करना चाहिए। तो आइए इस खबर के माध्यम से जानते हैं गोमेद रत्न धारण करने के क्या लाभ होते हैं, इसके धारण करने की विधि क्या है, इसे किस अंगुली में धारण करना चाहिए इन सारी चीजों के बारे में...

गोमेद रत्न धारण करने के लाभ

रत्न शास्त्र के अनुसार, जो जातक गोमेद रत्न को धारण करता है उसके सभी रुके कार्य पूर्ण हो जाता है। इसके साथ ही जातक अपने जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त करता है। ऐसी मान्यता है कि गोमेद रत्न बिना किसी विशेषज्ञ के सलाह के बिना नहीं धारण करना चाहिए। अगर किसी विशेषज्ञ की सलाह से धारण करते हैं, तो इससे आपको बहुत सारे लाभ मिल सकते हैं। जैसे- ब्लड कैंसर, कान संबंधित बीमारियां, आंख संबंधित बीमारियां या फिर जोड़ों के दर्द जैसी सभी तरह की बीमारियों से मुक्ति दिलाता है।

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गोमेद रत्न धारण करने की विधि

शास्त्रों के अनुसार, गोमेद रत्न की अंगूठी धारण करने से पहले उसे गंगा जल, दूध, शहद और मिश्री के घोल में डाल कर एक रात तक उसमें रख दें। प्रात काल उठकर रत्न को धारण करने से पहले ओम रां राहवे नम: मंत्र का 108 बार जाप करें। इसके बाद ही इसे धारण करें।

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गोमेद रत्न किस उंगली में करना चाहिए धारण

शास्त्रों के अनुसार, गोमेद रत्न को चांदी या अष्टधातु की अंगूठी में जड़वा कर धारण करना उचित होता है। ऐसी मान्यता है कि गोमेद रत्न को कनिष्का उंगली में धारण करना चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि गोमेद राहु का रत्न होता है। जो जातक गोमेद का रत्न धारण करता है उसे राहु की दशा-महादशा के दुष्प्रभाव से मुक्ति मिलती है।

Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।

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