Pradosh Vrat 2022: रवि प्रदोष व्रत कल, जानें इसकी पूजा विधि और विशेष उपाय

Pradosh Vrat 2022: प्रदोष व्रत प्रत्येक माह में दो बार कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को रखा जाता है। इस व्रत में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने का विधान है। इस दिन भगवान शिव की आराधना प्रदोषकाल यानी दिन और रात के मिलन के समय करने की मान्यता है। इस दिन भक्त भगवान भगवान के लिए व्रत रखते हैं और पूजा करते हैं। इस व्रत से भक्तों को बेहतर स्वास्थ्य और लंबी आयु की प्राप्ति होती है। शिव को प्रसन्न करने के लिए प्रदोष व्रत उत्तम माना जाता है। वहीं ज्येष्ठ मास में शुक्ल प्रदोष व्रत 12 जून 2022, दिन रविवार को है। तो आइए जानते हैं ज्येष्ठ शुक्ल प्रदोष व्रत की की पूजा विधि और इस दिन किए जाने वाले विशेष उपायों के बारे में...
रवि प्रदोष व्रत पूजा विधि
त्रयोदशी तिथि के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान के बाद व्रत का संकल्प लें और भगवान शिव की पूजा के लिए शिव प्रतिमा पूजास्थल पर स्थापित करें। अब पूजा में भगवान शिव का जल से अभिषेक कर उन्हें बेलपत्र, धूप, दीप, चंदन, फल, पान, सुपारी आदि सभी पूजन सामग्री अर्पित करें और भगवान शिव के साथ में मां पार्वती की भी पूजा करें।
यह रवि प्रदोष है और रविवार का संबंध सूर्य से होता है। इसीलिए इस दिन सूर्य उपासना भी जरुर करें। जिस जातक की कुंडली में सूर्य कमजोर हो उसे यह प्रदोष व्रत करने के साथ ही भगवान शिव के साथ सूर्य को जल का अर्घ्य देकर उनकी पूजा करनी चाहिए। इससे सूर्य संबंधी परेशानियां दूर हो जाती हैं।
रवि प्रदोष व्रत उपाय
रवि प्रदोष के दिन सूर्योदय के पहले उठकर स्नान के जल में गंगाजल डालकर स्नान करें और इसके बाद सूर्यदेव को तांबे के लोटे से जल में शक्कर और लाल पुष्प डालकर अर्घ्य दें। आज के दिन इस उपाय से व्यक्ति को जीवन में सफलता की प्राप्ति होती है।
शास्त्रों में रवि प्रदोष भगवान सूर्य और भगवान भोलेनाथ की विशेष कृपा प्राप्त करने का दिन है। इसीलिए यदि इस दिन यदि व्रत रखकर कुछ उपाय किए जाएं तो व्यक्ति को भगवान शिव के साथ-साथ भगवान सूर्यनारायण की भी विशेष कृपा की प्राप्ति होती है और मनोकामना भी पूरी होती हैं। वहीं रवि प्रदोष के दिन ये उपाय जरुर करने चाहिए।
यदि संभव हो तो रवि प्रदोष का व्रत करें। क्योंकि इस व्रत के प्रभाव से व्यक्ति को सुखी दांपत्य जीवन व आरोग्य का वरदान प्राप्त होता है। शाम के समय अर्थात प्रदोषकाल में भगवान शिव को पंचामृत से स्नान कराने के बाद साबुत चावल की खीर अर्पण करने से मनोकामना पूरी होती है।
यदि रवि प्रदोष के दिन सूर्य स्तोत्र का पाठ किया जाए तो घर में सुख-समृद्धि का वास होता है। इस दिन प्रदोष काल में शिवलिंग की पूजा करने से चंद्रग्रह संबंधित दोष दूर होते हैं।
(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi।com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)
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