Pitru Paksha : पितृ दोष के लक्षण और उपाय, आप भी जानें

Pitru Paksha : पितृ दोष एक ऐसा दोष है जिसके हमारे जीवन में बहुत भयानक परिणाम हमारे सामने आते हैं। पितृदोष के परिणाम जब हमारे जीवन में हमारे सामने आते हैं तो हम उन परिणामों को पहचान कर उसका उपाय आदि कर सकते हैं, इससे हमारे जीवन में शांति बनी रहती है। और हमारे पितृों को शांति प्राप्त हो जाती है। तो आइए आप भी जानें अपने जीवन में पितृ दोष के आने वाले लक्षणों और उपायों के बारे में।
पितृ दोष कई कारणों से बनता है। कई बार तो यह दोष ग्रहों के प्रभाव के कारण भी बन जाता है। खास तौर पर सूर्य, चंद्रमा, बृहस्पति, शुक्र अगर ये पाप ग्रहों के बीच में आ जाएं तो भी पितृ दोष हो जाता है। यदि किसी परिवार में किसी व्यक्ति की असमय मृत्यु हो गई हो, खास तौर से एक्सीडेंट, गंभीर बीमारी, पानी में डूबने या आग से जलकर, आत्महत्या आदि से किसी की मृत्यु हो गई हो तो ये सारे लक्षण अतृप्त आत्माओं के लक्षण होते हैं। क्योंकि जिनकी अवस्था जाने की नहीं थी, लेकिन किसी ना किसी कारण से वे लोग चले गए। और उन्हें कम उम्र में ही मृत्यु लोक से जाना पड़ा। ये सभी कारण पितृ दोष के कारण होते हैं। क्योंकि अतृप्त आत्माएं अपने परिजनों और अपने परिवार को परेशान करती रहती हैं। ये आत्माएं अपनी मुक्ति के लिए परिजनों को परेशान करती रहती हैं। ऐसी आत्माएं आपसे चाहती हैं कि आप उनकी मुक्ति का उपाय करें। जिससे उनको मोक्ष की प्राप्ति हो। ये सभी प्रमुख लक्षण पितृ दोष के होते हैं। और इसके अलावा कुछ ऐसे लक्षण हैं जिनको हम पहचान सकते हैं। हमारे घर परिवार में हम समझ सकते हैं कि हमारे घर में पितृ दोष है।
हिन्दू धर्मग्रंथों में व मान्यताओं में जहां पितृों यानि पूर्वजों की प्रसन्नता, घर परिवार को खुशहाल बनाने वाली मानी गई है। वहीं पितृ दोष कुटुम्ब में कई तरह की परेशानियों की वजह भी माना गया है। किन्तु कई लोग धर्मकर्म में विश्वास रखते हैं, किन्तु ज्योतिष शास्त्रों में ग्रह, नक्षत्रों के शुभ-अशुभ प्रभाव से जूड़ी हुई बातों को बहुत ज्यादा महत्व नहीं देते हैं। वास्तव में ज्योतिष शास्त्र में अलग-अलग ग्रहों के बुरे योग से बनने वाले पितृ दोष को सफलता और सुख में बाधा का बहुत बड़ा प्रमुख कारण माना गया है।
अगर कोई कार्य की व्यस्तता के कारण जो लोग अपने जन्म का सही समय और तिथि नहीं जानते या ज्योतिष पर अविश्वास के कारण कुंडली में पितृ दोष नहीं जान पाए हैं। ऐसे लोगों के लिए पितृदोष के कई लक्षण बताए गए हैं।
पहला लक्षण यह है कि कठोर परिश्रम करने के बाद भी आपको परिणाम बहुत बुरे मिलते हैं। जितनी आप मेहनत करते हैं उतनी सफलता आपको नहीं मिलती है। घर परिवार का कोई भी काम पूरा होने वाला हो तभी उसमें रूकावट आ जाती है। अच्छी कमाई और धन होने पर भी आपको बचत नहीं होती है। और आपका धन गैर जरूरी कामों में चला जाता हो, पिता और पुत्र के बीच में बहुत ज्यादा गहरा मनमुटाव, आपस में तनाव और वैचारिक मतभेद भी पितृ दोष का कारण माने जाते हैं।
धन, सुख सुविधा और परिवार से समृद्ध होने पर भी कोई भी मंगल कार्य परिवार में नहीं हो पाता हो तो यह भी पितृ दोष के प्रमुख लक्षणों में से एक है।
पुत्र या पुत्री के शिक्षित और आत्मनिर्भर होने के वाबजूद भी उनके रोजगार और विवाह में देरी या बाधाएं आती हैं तो यह भी पितृ दोष का कारण माना जाता है।
चिंता और रोगों से परेशान और बेचैन रहते हो तो भी यह पितृ दोष का ही कारण माना जाता है।
अगर आपके परिवार में वंश वृद्धि ना होना भी पितृ दोष का प्रमुख कारण माना जाता है।
पितृों के प्रसन्न करने के उपाय
1. पितृों की प्रसन्नता के लिए अपने घर के देवालय में आप एक अगरबत्ती और दीपक प्रतिदिन जरूर लगाएं।
2. देवस्थान में पितृों की तस्वीर ना होने पर भगवान विष्णु के साथ अपने पूर्वजों का स्मरण करते हुए ऊं पितराय नम: मंत्र का 21 बार जाप प्रतिदिन करना चाहिए।
पितृ दोषों से परेशानियों के निवारण के लिए यह उपाय बहुत ही असरदार सिद्ध होता है। इस उपाय को एकादशी, चतुर्दशी, अमावस्या, रविवार और गुरूवार के दिन जरूर करना चाहिए। और खास तौर से श्राद्ध पक्ष में तो प्रतिदिन स्नान करके इस उपाय को जरूर करना चाहिए। अश्विन माह के श्राद्ध पक्ष में ताबे के लोटे में जल भरके उसमें सफेद आंकड़े के पुष्प डाल करके उदित होते हुए सूर्य को यदि कोई व्यक्ति अर्घ्य देता है तो उससे पितृ दोष से मुक्ति पाने में बहुत अच्छा फायदा मिलता है।
सूर्य को अर्घ्य देते समय ऊं सूर्याय नम: मंत्र का 21 बार जाप करना चाहिए। इस मंत्र का प्रयोग आपको सूर्य देव को अर्घ्य देने के लिए करना है।
पितृ दोष के लिए किसी भी माह की अमावस्या के दिन त्रिपंडी श्राद्ध कर लेना भी कारगर उपाय माना जाता है।
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