Rishi Panchami In 2020 : ऋषि पंचमी पूजा सामग्री

Rishi Panchami In 2020 : ऋषि पंचमी पूजा सामग्री
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Rishi Panchami In 2020 : ऋषि पंचमी व्रत (Rishi Panchami Vrat) महिलाओं को मासिक धर्म में हुई गलतियों के पापों से मुक्ति दिलाता है।इसी कारण से महिलाएं इस दिन व्रत और पूजा करती हैं। लेकिन ऋषि पंचमी की पूजा (Rishi Panchami Puja) से पहले आपको ऋषि पंचमी की पूजा की सामग्री के बारे में अवश्य ही जान लेना चाहिए। जिससे आप इस दिन पूजा में किसी प्रकार की कोई गलती न करें तो चलिए जानते हैं ऋषि पंचमी पूजा की संपूर्ण सामग्री।

Rishi Panchami In 2020 : ऋषि पंचमी का व्रत 23 अगस्त 2020 (Rishi Panchami Vrat 23 August 2020) को रखा जाएगा। यह व्रत महिलाओं के लिए अत्यंत ही आवश्यक होता है। क्योंकि जिस समय महिलाओं को मासिक धर्म आता है।उस समय उन्हें अत्यंत ही अपवित्र माना जाता है और इस समय में उनसे कोई न कोई भूल चूक हो ही जाती है। जिसका उन्हें पाप भी लगता है। लेकिन ऋषि पंचमी व्रत (Rishi Panchami Fast) को करने से उनका वह पाप समाप्त हो जाता है। लेकिन इस व्रत की पूजा सामग्री अत्यंत ही महत्वपूर्ण मानी जाती है। यदि इनमें से कोई एक सामग्री यदि आप भूल गई तो आपकी पूजा और व्रत सफल नहीं पाएंगे।

ऋषि पंचमी पूजन सामग्री (Rishi Panchami Pujan Samagri)

ऋषि पंचमी पूजा सामग्री में आपको रोली,मौली, सात पूजा सुपारी, आम के पत्ते,मट्टी का कलश,चावल, श्रीफल यानी नारियल,पान, हल्दी की गांठ, पवित्र जल, पंचामृत, सफेद चंदन,केले के पत्ते,लौंग,इलायची,मिट्टी का दीपक,रूई की बत्ती,गाय को घी,चौक, आटा, कपूर,7 तरह का नैवेद्य, मूंगफली आठ, किसमिस आठ, छुआरा आठ, काजू आठ, मखाने आठ, बादाम आठ, केले आठ।

इसके अलावा पंचगव्य के लिए गाय का दूध, गाय का घी,गाय का गोबर,गोमूत्र,दही,कुश,ऋतुफल,सुहाग का समान 5 या 7,गौरी गणेश की स्थापना के लिए छोटी सुपारी,मौली धागा, आसन,पीढा, कोई भी नया कपड़ा, फूल,माला,अक्षत, मिष्ठान हवन सामग्री पैकेट,गुड, देशी घी आदि यह सभी सामग्री ऋषि पंचमी की पूजा में उपयोग की जाती है। आपको ऋषि पंचमी से एक दिन पहले ही इन सभी चीजों को एकत्रित कर लेना चाहिए।

ऋषि पंचमी की पूजा विधि (Rishi Panchami Puja Vidhi)

1.ऋषि पंचमी के दिन महिलाओं को ब्रह्म मुहूर्त में उठकर किसी पवित्र, सरोवर,तालाब या नदी में स्नान करके साफ वस्त्र धारण करने चाहिए।

2.इसके बाद उन्हें पूरे घर को गाय के गोबर से लिपना चाहिए और उसके बाद सप्तऋषियों और देवी अरूंधति की प्रतिमा बनानी चाहिए।

3. प्रतिमा बनाने के बाद कलश की स्थापना करें और उन्हें पंचगव्य से स्नान कराएं। स्नान कराने के बाद सप्तऋषियों की हल्दी,चंदन और पुष्प और अक्षत से पूजा करें।

4.इसके बाद कश्यपोत्रिर्भरद्वाजो विश्वामित्रोय गौतम:।जमदग्निर्वसिष्ठश्च सप्तैते ऋषय: स्मृता:।।गृह्णन्त्वर्ध्य मया दत्तं तुष्टा भवत मे सदा।। मंत्र का जाप करें।

5. मंत्र जाप के बाद सप्तऋषियों की कथा सुने और इस दिन जमीन में बोया हुआ अनाज ही ग्रहण करें।

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