Sakat Chauth 2021 : सकट चौथ के दिन ये कथा सुनने मात्र से होते हैं बच्चों के दुख दूर, आप भी ऐसे करें इस दिन उपवास

Sakat Chauth 2021 : सकट चौथ (Sakat Chauth) का हिन्दू सनातन धर्म में विशेष महत्व है। इसे सकट चौथ, संकटा चौथ, तिलकुट चौथ समेत कई नामों से जाना जाता है। सकट चौथ के दिन महिलाएं व्रत करके भगवान गणेश (Lord Ganesha) की पूजा करती हैं। महिलाएं अपने बच्चों के सुखद भविष्य और उनके लंबे जीवन की कामना के लिए सकट चौथ का व्रत करती हैं। इस दिन गणपति की आराधना (Ganesh Puja) करने के साथ ही भगवान गणेश को तिल के लड्डूओं का भोग लगाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि सकट चौथ की कथा सुनने मात्र से बच्चों की आयु में वृद्धि हो जाती है और उनका जीवन सुखमय हो जाता है। तो आइए जानते हैं सकट चौथ की तिथि, चतुर्थी तिथि कब शुरु होगी और कब समाप्त होगी, चंद्रोदय का समय और कथा के बारे में ।
Also Read : Jyotish Shastra : जीवन में परेशानियों से निजात और धन-लाभ और उन्नति दिलाते हैं ये अचूक उपाय
सकट चौथ व्रत 2021 (Sakat Chauth 2021)
सकट चौथ व्रत 2021 की तिथि और वार | 31 जनवरी 2021, दिन रविवार |
चंद्रोदय का समय | 08:45 PM |
चतुर्थी तिथि प्रारंभ | 31 जनवरी 2021, रात्रि 08:24 |
चतुर्थी तिथि समाप्त | 01 फरवरी 2021, शाम 06:24 |
Also Read : Mahashivratri 2021 : महाशिवरात्रि 2021 की डेट, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और जानें व्रत पारण का समय
सकट चौथ की कथा (Sakat Chauth ki katha)
एक नगर में एक कुंभकार रहता था। एक बार उसने बर्तन बनाने के लिए आव लगाया। जिसमें आव नहीं पका। कुंभकार ने लाख कोशिश की लेकिन उसका आव नहीं पका। और वह हार कर राजा के पास जाकर प्रार्थना करने लगा। राजा ने राज पंडित को बुलाकर इसका कारण पूछा। तो राज पंडित ने कहा कि इस बार आव लगाते समय आपको किसी बच्चे की बलि देनी होगी। और राजा का आदेश हो गया। और बलि आरंभ हो गई।
जिस भी परिवार की बारी होती उस परिवार का एक बच्चा बलि के लिए भेज दिया जाता था। इसी तरह कुछ दिनों के बाद सकट के दिन एक बुढ़िया के पुत्र की बारी आयीं। उस बुढ़िया के लिए उसका लड़का उसके जीवन का सहारा था। लेकिन राजा की आज्ञा के कारण नर्वस बुढ़िया सोचने लगी कि यदि मेरे बेटे को कुछ हो गया तो मेरे ऊपर तो संकट आ जाएगा। बुढ़िया ने बेटे को सकट की सुपारी और दूव का बीड़ा देकर कहा कि बेटा भगवान का नाम लेकर आव पर बैठ जाना। और बुढ़िया के बेटे को कुंभकार ने आग में बैठा दिया।
बुढ़िया पूरी रात भगवान से अपने बेटे की कुशलता के लिए प्रार्थना करती रही। पहले तो आव पकने में कई दिन लग जाते थे लेकिन भगवान गणपति की कृपा से एक ही रात में आव पक गया। सवेरे कुभंकार ने देखा तो हैरान रह गया। आव पक गया था और बुढ़िया का बेटा और अन्य सभी बालक जिनकी बलि दी गई थी वो भी जीवित हो उठे थे। नगरवासियों ने सकट की महिमा को स्वीकार किया। और उस लड़के को भी धन्य माना। संकटहर्ता भगवान गणपति की कृपा से नगर के अन्य बालक भी जी उठे।
नगरवासी तभी से इस दिन को सकट चौथ के रुप में मनाने लगे और इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने लगे। और लोगों ने भगवान से प्रार्थना की कि जैसे आपने हमारे बच्चों के जीवन की रक्षा की है वैसे ही आप इस कथा को पढ़ने और सुनने और इस इन व्रत करने वाले लोगों के बच्चों की भी आप रक्षा करें।
© Copyright 2025 : Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS
-
Home
-
Menu
© Copyright 2025: Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS