Sakat Chauth 2022: विघ्नों और मुसीबतें दूर करने के लिए आज करें इस मंत्र का जाप

Sakat Chauth 2022: विघ्नों और मुसीबतें दूर करने के लिए आज करें इस मंत्र का जाप
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Sakat Chauth 2022: धर्मशास्त्रों के अनुसार भगवान गणेश को विघ्नहर्ता कहा जाता है। गणपति जी सभी मुशीबत और परेशानियों को आसानी से दूर कर देते हैं। वहीं शिव पुराण अनुसार हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन सुबह में गणपतिजी का पूजन करें और रात को चन्द्रमा में गणपतिजी की भावना करके अर्घ्य देना चाहिए और उनके मंत्रों का जाप करने से सभी दुख और तकलीफों का नाश होता है।

Sakat Chauth 2022: धर्मशास्त्रों के अनुसार भगवान गणेश को विघ्नहर्ता कहा जाता है। गणपति जी सभी मुशीबत और परेशानियों को आसानी से दूर कर देते हैं। वहीं शिव पुराण अनुसार हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन सुबह में गणपतिजी का पूजन करें और रात को चन्द्रमा में गणपतिजी की भावना करके अर्घ्य देना चाहिए और उनके मंत्रों का जाप करने से सभी दुख और तकलीफों का नाश होता है। वहीं शास्त्रों के अनुसार चतुर्थी तिथि के स्वामी भगवान गणेश जी हैं और हिन्दू कैलेण्डर में प्रत्येक मास में दो चतुर्थी होती हैं। पूर्णिमा के बाद आने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्ट चतुर्थी कहते हैं।अमावस्या के बाद आने वाली शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं। तो आइए जानते हैं संकष्ठी चतुर्थी के विषय में और इस दिन कौन से मंत्र का जाप करें।

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शिवपुराण के अनुसार "महागणपतेः पूजा चतुर्थ्यां कृष्णपक्षके। पक्षपापक्षयकरी पक्षभोगफलप्रदा ॥

अर्थात प्रत्येक मास के कृष्णपक्ष की चतुर्थी तिथि को की हुई महागणपति की पूजा एक पक्ष के पापों का नाश करनेवाली और एक पक्ष तक उत्तम भोगरूपी फल देनेवाली होती है।

वहीं जीवन में कोई कष्ट हो अथवा हमारे जीवन में बहुत समस्याएं आती रहती हैं, मिटती नहीं हैं। कभी कोई कष्ट, कभी कोई समस्या हो तो ऐसे लोग शिवपुराण के मुताबिक, एक प्रयोग कर सकते हैं कि, कृष्ण पक्ष की चतुर्थी (मतलब पूर्णिमा के बाद की चतुर्थी ) के दिन सुबह मंत्र बोलते हुए गणपतिजी को प्रणाम करें और उनसे कहें कि हमारे घर में ये बार-बार कष्ट और समस्याएं आ रही हैं वो नष्ट हों |

मंत्र

  • ॐ गं गणपते नमः ।
  • ॐ सोमाय नमः ।
  • ॐ सुमुखाय नम: : सुंदर मुख वाले; हमारे मुख पर भी सच्ची भक्ति प्रदान सुंदरता रहे ।
  • ॐ दुर्मुखाय नम: : मतलब भक्त को जब कोई आसुरी प्रवृत्ति वाला सताता है तो… भैरव देख दुष्ट घबराये ।
  • ॐ मोदाय नम: : मुदित रहने वाले, प्रसन्न रहने वाले । उनका सुमिरन करने वाले भी प्रसन्न हो जायें ।
  • ॐ प्रमोदाय नम: : प्रमोदाय; दूसरों को भी आनंदित करते हैं । भक्त भी प्रमोदी होता है और अभक्त प्रमादी होता है, आलसी । आलसी आदमी को लक्ष्मी छोड़ कर चली जाती है । और जो प्रमादी न हो, लक्ष्मी स्थायी होती है ।
  • ॐ अविघ्नाय नम:
  • ॐ विघ्नकरत्र्येय नम:

(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)

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