सामुद्रिक शास्त्र : माथे की रेखाओं से जानें अपने भविष्य की जानकारी

मनुष्य के ललाट पर यानि उसके मस्तक पर बनने वाली कुछ चंद रेखाएं उस व्यक्ति के भूत, भविष्य और वर्तमान के बारे में दशा व दिशा बयां करने वाली होती हैं। आइए जानते हैं सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार जो मनुष्य की संरचना के ज्ञान को बताता है। उसके विचारों की जानकारी देता है। आज वैज्ञानिक जिस तरह मानते हैं कि हमारे विचार किस तरह वस्तु में परिणित होते हैं। उसी तरीके से ये मस्तिक की रेखाएं हमको अलग प्रकार के फल देती हैं। ये माथे की रेखाएं हमारे हमारी मनोदशा और हमारे भविष्य को पूर्णरुप से अध्ययन करके बताती हैं। तो आइए आप भी जानें कि क्या कहती हैं हमारे मस्तिक की रेखाएं।
सर्वप्रथम अगर मस्तिक के मध्य में ध्यान दें तो वहां सूर्य रेखा का निर्माण होता है। सूर्य रेखा के माध्यम से व्यक्ति कितना गुणवान है। कितना विवेकवान है। और कितना प्रभावशाली व्यक्ति है इसका ज्ञान लगाया जाता है।
अगर मस्तिक के बीचों बीच एक सीधी रेखा बनती है तो इसका क्या परिणाम होता है। इससे पहले हम जान लेते हैं शनिरेखा के बारे में। शनि रेखा व्यक्ति को बहुत ही समृद्ध, और ज्ञानी बनती है। क्योंकि शनि जोकि हमारी चेतना का कारक होता है। शनि हमारा कर्मदाता भी होता है और शनि हमारी (limitation) यानि कि हमारी सीमाओं को बांधता है। तो शनि रेखा पूर्णरूप से होने पर व्यक्ति को अनेक लाभ मिलते हैं।
अगर आपके मस्तिक के दांये भाग पर रेखा उत्पन्न हो रहे रही है तो व्यक्ति शनि के शुभ परिणाम पाता है। और अगर आपके बांये भाग में कोई रेखा उत्पन्न हो रही है तो व्यक्ति शुभ परिणाम जब पाता है। ऐसा व्यक्ति भोग-विलास की चीजें इक्ट्ठा तो करेगा। लेकिन वह उन चीजों का गवां देगा। और उन चीजों का भोग नहीं कर पाएगा।
अगर हम सबसे नीचे चंद्र रेखा की बात करें तो यह चंद्र रेखा व्यक्ति की कल्पना शक्ति, बुद्धिमता और उसके प्रेमी स्वभाव आदि को दर्शाती है। चंद्र रेखा सामुद्रिक शास्त्र में अति महत्वपूर्ण मानी गई है।
इसके अलावा आपकी भौहों के बगल में दो सीधी खड़ी रेखाएं देखने को मिलती हैं तो इसके अलग-अलग परिणाम मिलते हैं। अगर किसी व्यक्ति के दांए भाग में ऐसी सीधी खड़ी हुई रेखा मिलती है तो ऐसे व्यक्ति सुख का भोग विलास करते हैं। ऐसे लोग अपनी मेहनत के दम पर अपना मुकाम हासिल करते हैं।
और अगर ऐसी ही रेखाएं व्यक्ति के बांए साइड में हों तो वह व्यक्ति भी बहुत मेहनती होता है। और अपने संघर्ष के बलपर बहुत कुछ हासिल भी करता है। ऐसे व्यक्ति के द्वारा अर्जीत की गई संपत्ति का भोग विलास उस व्यक्ति के बेटे और बेटियां करते हैं। उस संपत्ति का भोग वह व्यक्ति स्वयं नहीं कर पाता है।
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