Sankashti Chaturthi 2021: चैत्र संकष्टी चतुर्थी व्रत की डेट, पूजन विधि और एक क्लिक में जानिए गणपति पूजा का महत्व

Sankashti Chaturthi 2021: चैत्र संकष्टी चतुर्थी व्रत की डेट, पूजन विधि और एक क्लिक में जानिए गणपति पूजा का महत्व
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  • संकष्टी चतुर्थी का व्रत (Sankashti Chaturthi Vrat) भगवान गणेश जी (Lord Ganesha ) को समर्पित है।
  • भगवान गणेश जी को विघ्नहर्ता व संकट मोचन कहा जाता है।

Sankashti Chaturthi 2021: संकष्टी चतुर्थी का व्रत भगवान गणेश जी को समर्पित है। यह व्रत लोग अपने जीवन में चल रहे संकटों एवं परेशानियों को दूर करने के लिए करते हैं। भगवान गणेश जी को विघ्नहर्ता व संकट मोचन कहा जाता है। भगवान गणेश अपने भक्तजनों के सभी संकटों को तत्काल ही दूर कर देते हैं। भगवान गणेश बहुत जल्दी ही अपने भक्तों की पूजा और भक्ति से प्रसन्न होते हैं। जिस प्रकार भगवान भोलेनाथ अपने भक्तों की पुकार को बहुत जल्दी ही सुनते हैं ठीक उसी प्रकार भगवान भोलेनाथ के पुत्र गणेश जी भी अपने भक्तों की पुकार को जल्दी ही सुनते हैं और उनसे प्रसन्न होकर उनके सभी दुख-दर्द को दूर करते हैं। संकष्टी चतुर्थी को संकटा चौथ के नाम से भी जाना जाता है।

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धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश का पूजन व अराधना करने से समस्त प्रकार के संकटों से मुक्ति मिलती है। संकष्टी चतुर्थी का व्रत भगवान गणेश की विशेष कृपा पाने के लिए किया जाता है। इस व्रत को सभी कष्टों को दूर करने वाला कहा जाता है।


संकष्टी चतुर्थी हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनायी जाती है। पूर्णिमा के बाद आने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी और अमावस्या के बाद आने वाली चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहा जाता है।


चैत्र माह में संकष्टी चतुर्थी का व्रत 31 मार्च 2021, दिन बुधवार को है। संकष्टी चतुर्थी के दिन गणपति की पूजा से नकारात्मक प्रभाव दूर हो जाते हैं। शांति बनी रहती है और घर में सुख-शांति का वास रहता है। ऐसा माना जाता है कि गणेश जी घर में आ रही सारी विपदाओं को दूर कर देते हैं। व्यक्ति की मनोकामना पूर्ण करते हैं।

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पूजाविधि

  1. संकष्टी चतुर्थी के दिन सुबह स्नान करके साफ वस्त्र पहनें, इस दिन लाल रंग के वस्त्र पहनना अधिक शुभ रहता है। इस दिन आप पीले रंग के वस्त्र भी पहन सकते हैं।
  2. एक चौकी पर पीले रंग का कपड़ा या लाल रंग का कपड़ा बिछाकर भगवान गणेश की मूर्ति या प्रतिमा को स्थापित करें।
  3. इसके बाद हाथ में गंगाजल और पुष्प लेकर व्रत का संकल्प करें।
  4. तत्पश्चात फल, फूल, लड्डू, पान, सुपारी, दूर्वा घास, लौंग, इलायची, जनेऊ आदि गणपति जी को अर्पित करें।
  5. इसके बाद गणेश जी के बीजमंत्र 'ऊँ गं गणपतये नमो नमः' का जप करें।
  6. इसके बाद आप गणेश चालीसा, गणेश स्तुति आदि का पाठ करें।
  7. शाम के समय फिर से स्नान करके भगवान गणेश को सभी सामग्री अर्पित करें और इसी प्रकार विधिवत पूजा करें। संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा पढ़ें अथवा सुनें। इसके बाद भगवान की आरती करें।

(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)

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