Sankashti Chaturthi 2022 : साल 2022 की अंतिम संकष्टी चतुर्थी पर बन रहे ये शुभ संयोग, जानें इनका महत्व

Sankashti Chaturthi 2022 : साल 2022 अब समाप्त होने जा रहा है और साल 2022 के साथ इस वर्ष के व्रत और पर्व आदि भी संपन्न हो जाएंगे। वहीं 08 दिसंबर 2022, दिन बृहस्पतिवार से पौष मास प्रारंभ हो गया है। पौष मास हिन्दू कैलेंडर का 10वां महीना होता है। वहीं अब पौष मास के व्रत और पर्व भी अब प्रारंभ हो जाएंगे। दिसंबर माह में पौष मास की संकष्टी चतुर्थी आने वाली है जोकि, पौष मास का पहला व्रत और त्योहार है। संकष्टी चतुर्थी प्रत्येक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनायी जाती है और इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने का विधान है। वहीं प्रत्येक माह की दोनों चतुर्थी तिथि के अवसर पर भगवान गणेश की पूजा की जाती है और प्रत्येक सप्ताह में बुधवार का दिन भी गणपति जी को समर्पित होता है। गणेश जी की पूजा करने से मनुष्य के संकटों का नाश होता है और समृद्धि उसके जीवन में आने लगती है। तो आइए जानते हैं, पौष मास की संकष्टी चतुर्थी कब है और इस दिन कौन से शुभ योग बन रहे हैं।
पौष संकष्टी चतुर्थी शुभ मुहूर्त 2022
पौष संकष्टी चतुर्थी व्रत तिथि | 11 दिसंबर 2022, दिन रविवार |
चतुर्थी तिथि प्रारंभ | 11 दिसंबर शाम 04:15 बजे |
चतुर्थी तिथि समाप्त | 12 दिसंबर शाम 06:49 बजे |
चंद्रोदय टाइम | 11 दिसंबर 2022, रात्रि 08:11 बजे |
पुनर्वसु | 10 दिसंबर 2022, शाम 05:42 बजे से 11 दिसंबर 2022, शाम 08:36 बजे तक |
पुष्य | 11 दिसंबर 2022, शाम 08:36 बजे से 12 दिसंबर 2022, शाम 11:36 बजे तक |
ब्रह्म | 11 दिसंबर 2022, सुबह 04:25 बजे से 12 दिसंबर सुबह 05:15 बजे तक |
वहीं अगर नक्षत्र की बात करें तो पौष संकष्टी चतुर्थी के दिन पुनर्वसु और पुष्य नक्षत्र का निर्माण हो रहा है। जोकि बहुत ही शुभ नक्षत्रों में से एक नक्षत्र है। पुनर्वसु नक्षत्र 10 दिसंबर 2022 को दोपहर 01:48 बजे से लग रहा है जोकि 11 दिसंबर 2022 की शाम 04:15 बजे तक रहेगा और उसके बाद 12 दिसंबर 2022 की शाम 06:49 बजे तक पुष्य नक्षत्र रहेगा। इसके साथ ही इस दौरान ब्रह्म योग का भी निर्माण हो रहा है। जोकि बहुत ही उत्तम योग है। ब्रह्म योग 11 दिसंबर 2022 को सुबह 04:25 बजे से प्रारंभ हो रहा है जोकि 12 दिसंबर 2022 की सुबह 05:15 बजे तक रहेगा। ब्रह्म योग में की गई कोई भी पूजा-अर्चना का कई गुना अधिक फल व्रती को प्राप्त होता है। वहीं पुष्य नक्षत्र में व्रत-पूजा आदि करने से सुख और संपत्ति में वृद्धि होती है। ज्योतिष में पुष्य नक्षत्र को परम कल्याणकारी नक्षत्र माना जाता है।
(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।)
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