Sarva Pitru Amavasya 2020 Date : जानिए किसे मिला था अमावस्या को श्राप और कैसे बनी पितरों के लिए यह तिथि सबसे महत्वपूर्ण

Sarva Pitru Amavasya 2020 Date : सर्व पितृ अमावस्या 17 सिंतबर 2020 (Sarva Pitru Amavasya 17 September 2020) को पड़ रही है। यह अमावस्या ( Amavasya) पितरों के लिए मोक्षदायनी अमावस्या मानी जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस अमावस्या पर भी किसी को श्राप मिला था। जिसके बाद सर्व पितृ अमावस्या की यह तिथि सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण बन गई। अगर आप इसके बारे में नहीं जानते हैं तो आज हम आपको सर्व पितृ अमावस्या की पूरी कहानी बताएंगे।
सर्व पितृ अमावस्या की कथा (Sarva Pitru Amavasya Story)
पितृ पक्ष में सर्व पितृ अमावस्या को सबसे अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि अमावस्या क्यों पितृ पक्ष में इतनी महत्वपूर्ण होती है और क्या है इसकी पौराणिक मान्यता है। सर्व पितृ अमावस्या की पौराणिक कथा के अनुसार श्रेष्ठ पितृ अग्निष्वात और बर्हिषपद की मानसी कन्या अक्षोदा घोर तपस्या कर रही थीं। वह तपस्या में इतनी लीन थीं कि देवताओं के एक हजार वर्ष बीत गए।
उनकी तपस्या के तेज से पितृ लोक भी प्रकाशित होने लगा और सभी श्रेष्ठ पितृगण अक्षोदा को वरदान देने के लिए एकत्र हुए उन्होंने अक्षोदा से कहा कि हे पुत्री हम सभी तुम्हारी तपस्या से बहुत प्रसन्न हैं। इसलिए जो चाहों वर मांग लो।लेकिन अक्षोदा ने पितरों की तरफ ध्यान नहीं दिया। वहीं उनमें से अति तेजस्वीं पितृ अमावसु को बिना पलके झपकाए देखती रहीं। पितरों के बार- बार कहने पर उसने कहा कि हे भगवान क्या आप मुझे सच में वरदान देना चाहते हैं।
इस पर तेजस्वीं पितृ अमावसु ने कहा हे अक्षोदा वरदान मांगो। अक्षोदा ने कहा कि अगर आप मुझे वरदान देना चाहते हैं तो मैं इसी समय आपके साथ आनंद चाहती हूं। अक्षोदा की यह बात सुनकर सभी पितृ क्रोधित हो उठे और उन्होने अक्षोदा को श्राप दे दिया कि वह पितृ लोक से पतित होकर पृथ्वीं लोक पर जाएगी। जिसके बाद अक्षोदा पितरों से क्षमा याचना करने लगी। इस पर पितरों को दया आ गई और उन्होंने कहा कि तुम पृथ्वीं लोक पर मत्सय कन्या के रूप में जन्म लोगी।
वहां पराशर ऋषि तुम्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार करेंग और तुम्हारे गर्भ से व्यास जन्म लेंगे। जिसके बाद तुम पुन: पितृ लोक में वापस आ जाओगी। अक्षोदा के इस अधर्म के कार्य को अस्वीकार करने पर सभी पितरों ने अमावसु को आर्शीवाद दिया कि हे अमावसु आज यह तिथि आपके नाम से जानी जाएगी। जो भी व्यक्ति वर्ष भर में श्राद्ध या तर्पण नहीं कर पाता और अगर वह इस तिथि पर श्राद्ध और तर्पण करता है तो उसे सभी तिथियों का पूर्ण फल प्राप्त होगा।
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