इस बार सावन माह में होंगे पांच सोमवार, कोरोना के कारण शिवभक्त नहीं ला पाएंगे कांवड़

आज सोमवार से सावन माह शुरु हो रहा है। धार्मिक भावना से भी सावन माह का बड़ा ही विशेष महत्व है। इस माह में कई महत्वपूर्ण व्रत और त्यौहार आते हैं। सावन माह को भगवान शिव की आराधना का माह माना जाता है। धार्मिक ग्रंथों में भी उल्लेख है कि जो भक्त इस पावन माह में भगवान शिव व माता पार्वती की सच्वे दिल से पूजा-अर्चना करते हैं तो उन पर भोले बाबा की सदैव कृपा बनी रहती है। इस बार सावन माह की यह विशेषता है कि सावन का माह सोमवार से शुरु होकर सोमवार को ही समाप्त होगा। इसे बड़ा ही अद्भुत संयोग माना जा रहा है।
ज्योतिषाचार्य पंडित डाॅक्टर मनोज शर्मा का कहना है कि इस बार सावन के महीने में पांच सोमवार हैं, जिनमें 6, 13, 20, 27 जुलाई व 3 अगस्त को सोमवार पड़ रहे हैं। श्रद्धालुओं को सावन माह में शिवलिंग की पूजा करने पर विशेष फल की प्राप्ति होती है। पौराणिक मान्यता के अनुसार सावन माह को देवों के देव महादेव का माह माना जाता है।
पौराणिक कथा है कि जब सनत कुमारों ने महादेव से उन्हें सावन माह प्रिय होने का कारण पूछा तो भगवान शिव ने बताया था कि जब देवी सती ने अपने पिता दक्ष के घर में योग शक्ति से शरीर त्याग दिया था, उससे पहले देवी सती ने महादेव को हर जन्म में पति के रुप में पाने का प्रण किया था।
पार्वती ने युवा अवस्था के दौरान सावन माह में निराहार रहकर कठोर व्रत किया और महादेव को प्रसन्न कर उनसे विवाह भी किया था। जिसके बाद से ही भोले शंकर के लिए सावन का माह विशेष हो गया। आगामी 19 जुलाई को महाशिवरात्रि का पर्व होगा, जिसमें श्रद्धालु भगवान शिव का जलाभिषेक करेंगे, लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण मंदिर, शिवालय व आश्रम भी बंद हैं। श्रद्धालुओं को अपने घरों में ही महादेव का जलाभिषेक करने की व्यवस्था करनी पड़ेगी।
वैसे तो परंपरा यह रही है कि श्रद्धालु गंगोत्री व हरिद्वार से कांवड़ में लाए गए गंगाजल से भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं, लेकिन इस बार कोरोना महामारी के चलते प्रदेश सरकार व जिला प्रशासन ने कांवड़ यात्रा पर रोक लगा दी है। इस बार शिव भक्त कावड़ नहीं चढ़ा सकेंगे। पंडित जी का कहना है कि शास्त्रों में कुछ उपाय बताए गए हैं, जिनके प्रयोग से शिव भक्त कांवड़ का पुण्य प्राप्त कर सकते हैं। यदि घर के आस-पास कोई नदी या साफ जलाशय है तो वहां से जल लाकर उसमें गंगाजल मिलाकर भी भोलेनाथ का जलाभिषेक किया जा सकता है। बताया तो यह भी जा रहा है कि उत्तराखंड सरकार निकटवर्ती प्रदेशों में गंगाजल उपलब्ध कराने की व्यवस्था कर सकती है।
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