Sawan 2023: इस मंदिर में भगवान शिव के बैल स्वरूप नाभि की होती है पूजा, जानें विशेषता

Sawan 2023: उत्तराखंड में स्थित पंचकेदार में से एक मदमहेश्वर (Madmaheshwar) या फिर यूं कहें तो मध्य महेश्वर की पूजा-अर्चना करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। पंच केदार में इसे दूसरे केदार के रूप में पूजा की जाती है। देवों के देव महादेव का यह मंदिर उत्तराखंड (Uttarakhand) के प्रमुख शिव मंदिरों में से एक है। इस मंदिर की ऐसी मान्यता है कि यहां पर भगवान भोलेनाथ के बैल स्वरूप की नाभि की पूजा की जाती है। साथ ही मान्यता है कि ये मंदिर प्राचीन काल में पांडवों द्वारा बनवाया गया था। आइये इस मंदिर के बारे में जानते हैं।
भगवान शिव के अलग-अलग रूपों की होती है पूजा
उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में चौखम्बा पर्वत की तलहटी पर मदमहेश्वर मंदिर स्थित है। इस मंदिर में जाने के लिए लोगों को मनसुना गांव से करीब 26 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है। उत्तराखंड के पंचकेदार में भगवान भोलेनाथ के पांच अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। भोलेनाथ को केदारनाथ में बैलरूपी शिव के कूबड़ की, तुंगनाथ में भुजाओं की, रुद्रनाथ में मस्तक की, मदमहेश्वर में नाभि की और इसके साथ ही कल्पेश्वर में जटाओं की पूजा-अर्चना की जाती है। इन सभी की भुजाओं की पूजा करने से भगवान शिव के आशीर्वाद की प्राप्ति होती है।
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महादेव का यह मंदिर बेहद अद्भूत
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, प्रकृति की गोद में बसे इसी मंदिर में कभी भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती ने रात्रि बिताई थी। यह मदमहेश्वर मंदिर काफी ऊंचाई पर स्थित है। न जानें कितने किलोमीटर की पैदल यात्रा करने के बाद भगवान शिव के दर्शन हो पाते हैं। इसके अलावा यह प्राचीन मंदिर सर्दियों में नवंबर से लेकर अप्रैल महीने तक बंद रहता है।
Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।
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