Sawan 2023: सावन में नई-नवेली दुल्हन इसलिए जाती है मायके, जानें क्या कहता है ज्योतिष शास्त्र

Sawan 2023: सनातन धर्म में सावन का महीना बहुत ही खास होता है। इस महीने भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा विधि-विधान से की जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, सावन माह का 4 जुलाई से शुरू हो चुका है, जो 31 अगस्त तक चलेगा।
सनातन धर्म में कई तरह के रीति-रिवाज, परंपराएं और मान्यताएं होती है। आज भी हिंदू धर्म मानने वाले लोग इन रीति-रिवाजों को मानते हैं, साथ ही पालन भी करते हैं। सावन महीने से भी कई नियम और रीति रिवाज जुड़े हुए हैं। ऐसी मान्यता है कि सावन में कुंवारी कन्याएं हाथों में मेहंदी लगाती हैं, साथ ही व्रत भी रखती हैं। वहीं विवाहित महिलाएं श्रृंगार भी करती है और अपने हाथों में मेहंदी लगाकर हरी-हरी चूड़ियां और साड़ी भी पहनती है।
इन्हीं नियमों और रिवाजों में एक हैं सावन महीने में बेटी का शादी के बाद पहली बार आपने मायके जाना। जी हां सावन के महीने में नई नवेली दुल्हन अपने मायके जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं आखिर ऐसा क्यों होता है कि शादी के बाद नई-नवेली दुल्हन सावन में पीहर क्यों जाती है। अगर नहीं तो आइए इसके पीछे का राज जानते हैं।
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नई-नवेली दुल्हन पहले सावन पर क्यों जाती है मायके
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शादी के बाद पहले सावन पर नई-नवेली दुल्हन को पीहर जाना बहुत ही जरूरी है। शास्त्रों में इसे शुभ माना जाता है। सावन में मायके जाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। ऐसी मान्यता है कि सावन में मायके जाने से ससुराल और पीहर के बीच सामंजस्य की स्थिति बनी रहती है साथ ही मेल-मिलाप भी बना रहता है।
सावन में नई-नवेली दुल्हन को अपने मायके जानें के पीछे का एक यह भी कारण है कि बेटी से घर का भाग्य जुड़ा होता है। कहा जाता है कि जब सावन में बेटियां अपने घर आती है तो उसका भाग्य घर के भाग्य को नियंत्रित करता है, साथ ही पारिवारिक जीवन में खुशियां बढ़ जाती है। इसके साथ ही घर में सुख-शांति और समृद्धि भी आती है। ज्योतिष के अनुसार, कहा जाता है कि जब नवविवाहिता अपने मायके जाती है तो ससुराल और मायके के बीच की स्थिति भी ठीक रहती है।
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Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।
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