Sawan 2021 : सावन के पवित्र महीने में ना करें ये काम, लगता है घोर पाप

- सावन के इस पवित्र महीने में चारों ओर भक्ति का माहौल होता है।
- शिव भक्तों में सावन का महीना विशेष उत्साह लेकर आता है।
Sawan 2021 : सावन के इस पवित्र महीने में चारों ओर भक्ति का माहौल होता है और शिव भक्तों में (Sawan) सावन का महीना विशेष उत्साह लेकर आता है। पुराणों में कहा गया है कि, अन्य दिनों की अपेक्षा सावन के महीने में भगवान शिव की सच्चे दिल से पूजा-अर्चना करने का कई गुना अधिक लाभ मिलता है। शिव पुराण में बताया गया है कि, भगवान शिव की भक्ति करने से राहु-केतु से निजात मिल जाती है। सनातन धर्म के अनुसार, सावन के महीने में पूजा-पाठ के साथ कुछ नियम भी होते हैं, जिनका पालन करना हर व्यक्ति के लिए अनिवार्य है। ऐसे में खासकर अगर आप सोमवार का व्रत रखते हैं तो आप ये जान लीजिए कि, सोमवार के व्रत में या सावन माह में संभोग क्यों नहीं करना चाहिए।
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सावन के महीने में और सोमवार व्रत (Somvar Vrat) के दिन संभोग इसीलिए नहीं करते हैं क्योंकि व्रत रखने वाले व्यक्ति का नाता महाशिव के साथ जुड़ जाता है। अर्थात दिव्य शक्तियां व्रतधारी के आसपास मौजूद होती हैं। ये सभी शक्तियां व्रत रखने वाले व्यक्ति के आसपास घूमती रहती हैं और उसका साथ नहीं छोड़ती, वह व्यक्ति भगवान शिव की शरण में होता है। ये दिव्य शक्तियां सकारात्मकता का प्रतीक मानी गई हैं। इसीलिए ऐसे समय में संभोग करना कई दिव्य शक्तियों को क्रोधित करने के बराबर माना गया है। क्योंकि एक तरफ तो आप भगवान शिव से प्रार्थना करते हैं कि, हे प्रभु! आप मेरी पुकार अवश्य सुनें और दूसरी तरफ आप व्रत रखने पर संभोग करते हैं। जोकि शास्त्रों के अनुसार, घोर पाप के बराबर माना जाता है। संभोग करने पर व्यक्ति अपवित्र और गंदा हो जाता है। अगर कोई व्रतधारी ऐसे समय में शारीरिक संबंध स्थापित करता है तो ये दिव्य शक्तियां भयानक रुप ले लेती हैं। ये शक्तियां क्रोध में आकर आपस में टकराती हैं और व्रत रखने वाले व्यक्ति को अंत तक जीवन भर परेशानियां झेलनी पड़ती हैं।
गरुड़ पुराण में बताया गया है कि, व्रतधारी को संभोग करने से बचना चाहिए। क्योंकि वह व्यक्ति उस समय ईश्वर की शरण में होता है। इसीलिए सावन के पवित्र महीने में अगर आपने व्रत रखा है तो आपका नाता ईश्वर से जुड़ गया है, ऐसे में जब तक आपका व्रत पूरा ना हो जाए तब तक संबंध स्थापित कभी ना करें। जब तक सावन का महीना समाप्त ना हो जाए अथवा सोमवार का व्रत पूरा ना हो जाए, तब तक श्रद्धापूर्वक व्रत को पूरा करें और सावन समाप्त होने तक कोई भी गलत कार्य ना करें। तथा शारीरिक संबंध स्थापित ना करें, इससे दिव्य शक्तियां क्रोधित होती हैं। वहीं व्रत में संभोग करने वाले व्यक्ति को कुकर्मी और अधर्मी कहा गया है। इसीलिए ऐसा पाप करने से हमेशा बचना चाहिए। तथा व्रत के दौरान महादेव की सच्चे दिल से भक्ति करें और मनोवांछित फल की प्राप्ति करें।
(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)
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