Sawan Mass 2022: सावन माह में करें निर्वाण षटकम स्तोत्र का पाठ, कभी परेशान नहीं करेंगे मंगल और शनि

Sawan Mass 2022: सावन माह में करें निर्वाण षटकम स्तोत्र का पाठ, कभी परेशान नहीं करेंगे मंगल और शनि
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Sawan Mass 2022: सावन का महीना भगवान शिव का प्रिय महीना है। इस महीने में भगवान शिव अपने भक्तों पर विशेष कृपा करते हैं और उनके सभी मनोरथ पूर्ण करते हैं। वहीं भगवान शिव को प्रसन्न करने के शास्त्रों में अनेक तरीके बताए गए हैं।

Sawan Mass 2022: सावन का महीना भगवान शिव का प्रिय महीना है। इस महीने में भगवान शिव अपने भक्तों पर विशेष कृपा करते हैं और उनके सभी मनोरथ पूर्ण करते हैं। वहीं भगवान शिव को प्रसन्न करने के शास्त्रों में अनेक तरीके बताए गए हैं। भगवान को प्रसन्न करने के लिए तंत्र, मंत्र, यंत्र, पूजन, आरती, शिव चालीसा, शिव तांडव स्तोत्र, स्नान, दान, अभिषेक, दूग्धाभिषेक, पंचामृत से अभिषेक और जलाभिषेक आदि के साथ ही ध्यान और स्मरण आदि का प्रयोग किया जाता है। वहीं भगवान शिव निर्वाण षटकम स्तोत्र के पाठ से भी शीघ्र ही प्रसन्न होते हैं। अगर सावन माह में इसका प्रतिदिन पाठ किया जाए तो भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है और अनेक जन्मों के पापों का नाश हो जाता है। तथा शनिदोष समेत अनेक ग्रह दोषों से मुक्ति मिल जाती है। क्योंकि जो भी मनुष्य भगवान शिव की पूजा करता है, उसे किसी प्रकार का भय और दोष परेशान नहीं करता है वह सभी प्रकार से दोषमुक्त हो जाता है। तो आइए इस सावन माह में हम भी प्रतिदिन निर्वाण षटकम स्तोत्र का पाठ करें और भगवान शिव की कृपा के अधिकारी बनें।

निर्वाण षटकम

मनो बुद्ध्यहंकारचित्तानि नाहं

न च श्रोत्र जिव्हे न च घ्राण नेत्रे |

न च व्योम भूमि न तेजो न वायु:

चिदानंद रूपः शिवोहम शिवोहम ||1||

न च प्राण संज्ञो न वै पञ्चवायुः

न वा सप्तधातु: न वा पञ्चकोशः |

न वाक्पाणिपादौ न च उपस्थ पायु

चिदानंदरूप: शिवोहम शिवोहम ||2||

न मे द्वेषरागौ न मे लोभ मोहौ

मदों नैव मे नैव मात्सर्यभावः |

न धर्मो नचार्थो न कामो न मोक्षः

चिदानंदरूप: शिवोहम शिवोहम ||3||

न पुण्यं न पापं न सौख्यं न दु:खं

न मंत्रो न तीर्थं न वेदों न यज्ञः |

अहम् भोजनं नैव भोज्यम न भोक्ता

चिदानंद रूप: शिवोहम शिवोहम ||4||

न मे मृत्युशंका न मे जातिभेद:

पिता नैव मे नैव माता न जन्म |

न बंधू: न मित्रं गुरु: नैव शिष्यं

चिदानंद रूप: शिवोहम शिवोहम ||5||

अहम् निर्विकल्पो निराकार रूपो

विभुव्याप्य सर्वत्र सर्वेन्द्रियाणाम |

सदा मे समत्वं न मुक्ति: न बंध:

चिदानंद रूप: शिवोहम शिवोहम ||6||

(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।)

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