Sawan Mass 2022: शीश गंग अर्धंग पार्वती...आरती से आज करें महादेव को प्रसन्न, मिलेगा ये वरदान

Sawan Mass 2022: शीश गंग अर्धंग पार्वती...आरती से आज करें महादेव को प्रसन्न, मिलेगा ये वरदान
X
Sawan Mass 2022: सावन माह में महादेव की पूजा का विधान है, सृष्टि में चारों ओर महादेव के जयघोष सुनाई देते हैं और वहीं शास्त्रों की मानें तो सावन माह के सोमवार का भी बहुत महत्व माना जाता है। वहीं आज सावन मास का अंतिम सोमवार है और 11 अगस्त को रक्षा बंधन के पर्व के साथ ही सावन मास समाप्त हो जाएगा और 12 अगस्त से भाद्रपद मास प्रारंभ हो जाएगा।

Sawan Mass 2022: सावन माह में महादेव की पूजा का विधान है, सृष्टि में चारों ओर महादेव के जयघोष सुनाई देते हैं और वहीं शास्त्रों की मानें तो सावन माह के सोमवार का भी बहुत महत्व माना जाता है। वहीं आज सावन मास का अंतिम सोमवार है और 11 अगस्त को रक्षा बंधन के पर्व के साथ ही सावन मास समाप्त हो जाएगा और 12 अगस्त से भाद्रपद मास प्रारंभ हो जाएगा। वहीं आज सावन के अंतिम सोमवार के दिन कई शुभ योग भी बन रहे हैं, जोकि इस दिन के धार्मिक महत्व को और भी अधिक बढ़ा रहे हैं। वहीं शिव पूजन में आरती और शिव चालीसा का भी विशेष महत्व होता है, जोकि पूजन में होने वाली त्रुटियों को पूर्ण कर देता है। इसीलिए विधिपूर्वक सोमवार के दिन महादेव की आरती करनी चाहिए। तो आइए एक क्लिक कर पढ़ें भगवान शिव की ये विशेष आरती और पाएं मनोवांछित वरदान।

भगवान कैलासी की आरती

शीश गंग अर्धंग पार्वती सदा विराजत कैलासी।

नंदी भृंगी नृत्य करत हैं, धरत ध्यान सुर सुखरासी॥

शीतल मन्द सुगन्ध पवन बह बैठे हैं शिव अविनाशी।

करत गान-गन्धर्व सप्त स्वर राग रागिनी मधुरासी॥

यक्ष-रक्ष-भैरव जहँ डोलत, बोलत हैं वनके वासी।

कोयल शब्द सुनावत सुन्दर, भ्रमर करत हैं गुंजा-सी॥

कल्पद्रुम अरु पारिजात तरु लाग रहे हैं लक्षासी।

कामधेनु कोटिन जहँ डोलत करत दुग्ध की वर्षा-सी॥

सूर्यकान्त सम पर्वत शोभित, चन्द्रकान्त सम हिमराशी।

नित्य छहों ऋतु रहत सुशोभित सेवत सदा प्रकृति दासी॥

ऋषि मुनि देव दनुज नित सेवत, गान करत श्रुति गुणराशी।

ब्रह्मा, विष्णु निहारत निसिदिन कछु शिव हमकू फरमासी॥

ऋद्धि-सिद्धि के दाता शंकर नित सत् चित् आनन्दराशी।

जिनके सुमिरत ही कट जाती कठिन काल यमकी फांसी॥

त्रिशूलधरजी का नाम निरन्तर प्रेम सहित जो नर गासी।

दूर होय विपदा उस नर की जन्म-जन्म शिवपद पासी॥

कैलासी काशी के वासी अविनाशी मेरी सुध लीजो।

सेवक जान सदा चरनन को अपनो जान कृपा कीजो॥

तुम तो प्रभुजी सदा दयामय अवगुण मेरे सब ढकियो।

सब अपराध क्षमाकर शंकर किंकर की विनती सुनियो॥

शिव शम्भो हर हर महादेव । जय महादेव, हे महादेव।

(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।)

Tags

Next Story