Sawan Mass 2022: त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग में पाप मुक्त हो जाता है हर व्यक्ति, जानें यहां क्यों विराजमान हुए महादेव

Sawan Mass 2022: सावन का पावन महीना 12 अगस्त तक चलेगा। महादेव की कृपा पाने के लिए शिवभक्त विधि विधान से पूजा-अर्चना करते हैं। शिवजी संपूर्ण देव माने जाते हैं। भोलेनाथ की महिमा अपार है। शिवजी के कई प्रसिद्ध धाम जिनका सावन में नाम जपने से ही पुण्य की प्राप्ति होती है। विश्व प्रसिद्ध भगवान शिव के 12 ज्योर्तिलिंग में से एक है त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर। तो आइए सावन के इस पवित्र माह में जानते हैं त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियों के बारे में...
त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग नासिक के पास गोदावरी तट पर स्थित है। इस मंदिर में लोग कालसर्प दोष के निवारण के लिए विधिवत पूजा करते हैं। मंदिर के अंदर तीन छोटे-छोटे शिवलिंग हैं, जिन्हें त्रिदेव यानि कि, ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतीक माना जाता है। इस लिंग के चारों तरफ एक रत्न से जुड़ा हुआ मुकुट त्रिदेव के मुखोटे के ऊपर स्थित है। परंपरा के अनुसार, भक्त इस मुकुट के दर्शन सिर्फ सोमवार को ही कर सकते हैं।
त्र्यंबकेश्वर मंदिर के पास तीन ब्रह्म गिरि, नील गिरि और कालागिरि पर्वत स्थित हैं। वहीं इस मंदिर के पास ब्रह्म गिरि, नील गिरि और गंगा द्वार मौजूद है। ब्रह्मगिरि को शिव स्वरुप माना गया है। नीलगिरि पर्वत पर नीलांबिका देवी और दत्तात्रेय गुरु का मंदिर है। वहीं गंगा द्वार पर गोदावरी और गंगा का मंदिर है।
पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन काल में ब्रह्मगिरि पर्वत पर देवी अहिल्या के पति श्रीगौतम मुनि तपस्या करते थे। गौतम ऋषि से यहां मौजूद अन्य ऋषिगण द्वेष करते थे। अन्य ऋषियों ने छल से गौतम ऋषि पर गोहत्या का आरोप लगा दिया। अन्य ऋषियों ने कहा कि, इस हत्या के पाप का प्रायश्चित करना है तो देवी गंगा को यहां लेकर आना होगा।
गौतम ऋषि ने पाप से मुक्ति पाने के लिए पार्थिव शिवलिंग की स्थापना की और वहीं भक्तिभाव से पूजन करने लगे। देवी पार्वती और भगवान शंकर ऋषि के सच्ची श्रद्धा देखकर बहुत प्रसन्न हुए और उन्हें वहां साक्षात दर्शन दिए। भगवान शिव ने गौतम ऋषि से वरदान मांगने को कहा, तो गौतम ऋषि ने गंगा माता को यहां उतरने का वर मांगा।
देवी गंगा ने कहा कि, अगर महादेव यहां निवास करेंगे तो तभी वो वहां आएंगी। गंगा जी की इच्छा का मान रखते हुए शिवजी त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के रुप में विराजमान हो गए। गंगा नदी गौतमी या गोदावरी के नाम से वहां पर प्रवाहित होने लगी।
(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।)
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