Sawan Shivratri 2020 In July : जानिए सावन शिवरात्रि पर कावड़िये क्यों चढ़ाते है भगवान शिव को जल

Sawan Shivratri 2020 In July : जानिए सावन शिवरात्रि पर कावड़िये क्यों चढ़ाते है भगवान शिव को जल
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Sawan Shivratri 2020 In July : सावन (Sawan) का महीना भगवान शिव (Lord Shiva) को प्रसन्न करने के लिए विशेष माना जाता है। इसी कारण से भगवान शिव के भक्त कावड़ लेकर जल लेने जाते है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि सावन शिवरात्रि पर कावड़िये क्यों चढ़ाते है भगवान शिव को जल अगर नहीं तो आज हम आपको इसके बारे में बताएंगे तो चलिए जानते हैं सावन शिवरात्रि पर क्यों चढ़ाया जाता है भगवान शिव को जल।

Sawan Shivratri 2020 In July : सावन शिवरात्रि 19 जुलाई 2020 (Sawan Shivratri 19 July 2020) को मनाई जाएगी। इस दिन कावड़िये (Kawadiye) पवित्र नदियो से जल लाकर भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस परंपरा की शुरुआत कैसे हुई। अगर नहीं तो हम आपको आज इस परंपरा के बारे में बताएंगे तो चलिए जानते हैं सावन शिवरात्रि पर कावड़िये क्यों चढ़ाते है भगवान शिव को जल।

भगवान शिव को जल चढ़ाने की मान्यता ( Bhagwan Shiv ko Jal Chadhane Ki Manyata)

सावन का महीना हिंदू धर्म में अत्यंत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। इस पूरे महीने में भगवान शिव की पूजा- अर्चना की जाती है। सावन के महीने को भगवान शिव का महीना भी माना जाता है। इस महीने में कुछ लोग भगवान शिव की विशेष पूजा - अर्चना करते हैं तो कुछ लोग कावड़ लेकर जल लेने जाते हैं और भगवान शिव को प्रसन्न करते हैं।मान्यता है की सावन के महीने में जल लाने से भक्तों की मनोकामना पूर्ण होती है।

सावन के महीने में शिवलिंग की पूजा का विशेष महत्व है। इस महीने में शिवलिंग पर गंगाजल अर्पित किया जाता है। भगवान शिव के भक्त पवित्र नदियो से जल लेकर आते हैं और सावन शिवरात्रि पर शिवलिंग पर जल अर्पित करते हैं। शास्त्रो के अनुसार सावन के महीने में सभी देवता शयन करते हैं तो वहीं भगवान भोलेनाथ इस महीने में जागकर भक्तो की रक्षा करते हैं। कावड़ को साल में एक ही बार केवल सावन के महीने में लाया जाता है।

सावन के महीने में कावड़ लाने के बारे में मान्यता है कि सावन के महीने में समुद्र मंथन के दौरान विष निकला था और भगवान शिव ने संसार को बचाने के लिए इस विष को पी लिया था। विष का सेवन करने के बाद भगवान शिव को नीलकंठ कहा जाने लगा। जब भगवान शिव ने विष पीया तो उनका पूरा शरीर जलने लगा। भगवान शिव का शरीर जलते देख देवताओं ने उन पर जल अर्पण करना शुरू कर दिया।

जल अर्पित करने के कारण भगवान शिव का शरीर ठंडा होने लगा और उन्हें विष से राहत मिलने लगी। इसी कारण से कावड़ लाने की परंपरा शुरू हुई। वहीं एक दूसरी पौराणिक कथा के अनुसार भगवान परशुराम सावन के महीने में हर सोमवार कावड़ में जल लाकर भगवान शिव की पूजा अर्चना करते थे।इसी कारण से हर साल कावड़िये जल लेकर आते हैं और सावन शिवरात्रि पर शिवलिंग पर जल अर्पित करते हैं।

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