Savan Somvar Vrat: सावन सोमवार व्रत का महत्व, पूजन और नियम, जानें...

Sawan Somvar Vrat 2021: धर्म ग्रंथों के अनुसार (Sawan) सावन मास को सबसे पावन मास माना गया है। ऐसा माना गया है कि इस माह में भगवान भोलेनाथ कैलाश पर्वत से पृथ्वी की तरह आते हैं। इस माह में सोमवार भगवान भोलेनाथ का परम प्रिय दिवस होता है। सावन में सृष्टि अपनी कृपा बरसाती है और यह महीना सभी जीवो के लिए कल्याणकारी माना गया है नारद पुराण के अनुसार तीन प्रकार के सोमवार व्रत होते हैं जैसे सामान्य सोमवार व्रत, सोलह सोमवार व्रत और सावन सोमवार व्रत। इन तीनों सोमवार के व्रत की विधि, पूजन, व्रत उद्यापन और दान एक समान रहते हैं। अगर आप सोलह सोमवार का व्रत शुरू करना चाहते हैं तो आप यह व्रत सावन सोमवार से आरंभ कर सकते हैं। अगर आप कोई भी व्रत आरंभ करते हैं तो इस व्रत को सावन के महीने से शुरू करें जिससे इसका फल अनंत हो। आज यानि 26 जुलाई से सावन सोमवार के व्रत शुरू हो गए हैं।
सावन सोमवार व्रत का महत्व
ऐसी मान्यता है की माता सती ने सावन माह में ही कठोर तप करके भगवान भोलेनाथ को हर जन्म में अपने पति के रूप में प्राप्त किया था। सोमवार के व्रत को कोई भी कर सकता है। अविवाहित कन्या सुंदर घर वर और संपन्न घर पाने के लिए यह व्रत करती हैं और विवाहित स्त्रियां अपने लंबे और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए यह व्रत करती हैं। पुरुष इस व्रत को सुखी और शांतिपूर्ण जीवन बताने के लिए करते हैं। व्रत और पूजा सभी लोग करते हैं, लेकिन इसका पूर्ण फल पाने के लिए व्रत के नियमों का पालन बहुत जरूरी होता है।
सावन सोमवार व्रत का नियम
सावन के सोमवार व्रत में सुबह उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर स्वस्थ स्वच्छ वस्त्र धारण करें। ध्यान रहे इस दिन काले वस्त्र धारण नहीं करें। इसके बाद व्रत का संकल्प ले कि मैं आज सोमवार का व्रत करूंगी और भोलेनाथ को प्रसन्न करूंगी। इस व्रत में दिन में केवल एक समय अन्य ग्रह कर कर सकते हैं। सायं काल में सूर्यास्त के बाद भोजन करें।
सावन सोमवार व्रत पूजन
इस व्रत में भगवान भोलेनाथ की पूजा का विधान संपन्न करना होता है। अन्यथा व्रत करने का कोई औचित्य नहीं है। पूजन के लिए पूजा की थाली ले। जिसमें रोली, चावल, हल्दी, गुलाल, सिंदूर, कपूर, धूपबत्ती, बेलपत्र, धतूरा, शहद, कच्चा दूध, और चंदन आदि सामग्री रखें और साथ ही दूध से बनी मिठाई भगवान भोलेनाथ को अवश्य चढ़ाएं।
भगवान भोलेनाथ को लाल पुष्प नहीं चढ़ाएं। इसकी जगह नील या सफेद पुष्पा चढ़ाएं और साथ में गंगाजल अवश्य रखें इसके बिना पूजा अधूरी है किन वस्तुओं के साथ आप शिवलिंग की पूजा करें और ओम नमः शिवाय का जाप करें।
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