Shagun: सनातन धर्म में क्यों होती है शगुन के लेने-देने की प्रथा, जानें इसकी वजह

Shagun: आपने अक्सर देखा होगा कि हिंदू धर्म में लड़कियों के विदाई के दौरान शगुन दिया जाता है। लेकिन क्या आपको पता है शगुन क्यों दिया जाता है। अगर नहीं तो आज हम बताएंगे आखिर हिंदू धर्म में शगुन देने के पीछे का रहस्य क्या है।
दरअसल, शगुन शब्द संस्कृत भाषा का एक शब्द है, जिसका अर्थ शुभ संकेत, आशीर्वाद या सुख-समृद्धि होता है। हिंदू धर्म में काफी लंबे समय से शुभ अवसर या मांगलिक कार्यों पर शगुन लेने और देने की परंपरा चली आ रही है। जो व्यक्ति शगुन देता है वह अपने साथ उस व्यक्ति को अपनी शुभकामनाएं देता है। यह शादी, जन्मदिन या किसी समय शगुन देने का मतलब आशीर्वाद होता है। ये जीवन के लिए एक अच्छा संकेत देता है। बड़ों से शगुन लेने से आशीष मिलता है। इसके साथ ही और भी शगुन से जुड़े कुछ महत्व है।
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क्या है शगुन का महत्व
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, भारतीय शादी में या किसी अन्य शुभ अवसर पर शगुन देना बहुत ही विशेष महत्व होता है। शास्त्रों के अनुसार, शगुन में पैसों का लेन-देन से दो ग्रह बृहस्पति और शुक्र दोनों ही साथ रहते है। पैसे का संबंध भी इन्हीं दो ग्रहों से है। किसी भी मांगलिक कार्य में दोनों ग्रहों का आशीर्वाद लेना बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। बृहस्पति ग्रह को घर की समृद्धि का कारक माना गया है, इसलिए कहा जाता है कि शगुन देने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है। इसके साथ ही जीवन में किसी भी तरह की समस्याएं नहीं आती है। वहीं शुक्र ग्रह को प्रसन्न करने का कारक माना गया है। शगुन लेने से जीवन में हमेशा खुशहाली बनी रहती है और जीवन हमेशा सुखमय बना रहता है।
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Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।
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