Shani Ast 2022: शनि तारा अस्त होने से अटके हुए काम होंगे पूरे, जानें इसके लाभ और उपाय

Shani Ast 2022: मृत्युलोक के दंडाधिकारी भगवान शनि 19 जनवरी की सुबह 7 बजकर 13 मिनट पर अपनी मकर राशि की यात्रा की अवधि में ही पश्चिम दिशा में अस्त हुए हैं। पुनः ये 21 फरवरी की सायं 6 बजकर 9 मिनट पर उदय होंगे। इस प्रकार इस बार 33 दिनों के लिए अस्त होने का अशुभ प्रभाव जातकों पर पड़ेगा। जिनकी जन्मकुंडली में शनि शुभकारक भाव में गोचर कर रहे हैं उनके लिए तो यह समाचार अच्छा नहीं है किंतु जिनके लिए अशुभकारक भाव में गोचर कर रहे थे उन्हें इनके दुष्प्रभावों से राहत मिलेगी। पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि कभी भी शनिदेव के अस्त होने से सरकार का प्रशासनिक ढांचा कमजोर पड़ जाता है और अराजकता बढ़ने की संभावना अधिक हो जाती है। मकर और कुंभ राशि के स्वामी शनि तुला राशि में उच्चराशि तथा मेष राशि में नीच राशिगत संज्ञक माने गए हैं। न्याय के कारक ग्रह शनिदेव इस वर्ष अपनी राशि बदलने वाले हैं। शनिदेव 29 अप्रैल 2022 को मकर राशि की अपनी यात्रा को समाप्त करते हुए कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे। कुंभ राशि में शनि करीब ढाई वर्षो तक रहेंगे। ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों के राशि परिवर्तन और अस्त होने का विशेष प्रभाव सभी राशियों के जातकों पर अवश्य ही पड़ता है
शनि अस्त होने के लाभ
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि शनि अस्त होने से धनु, मकर, कुंभ, मिथुन और तुला राशि के जातकों को शनि की पीड़ा से राहत मिलेगी। कार्यो को गति मिलेगी। अटके हुए कार्य पूरे होने की स्थिति में आएंगे। अन्य राशि के जातकों को भी शनि की पीड़ा से शांति मिलेगी। जिन लोगों की जन्मकुंडली में शनि चौथे, आठवें, 12वें घर में दूषित होकर बैठा हो उन्हें शनि के दुष्प्रभावों से राहत मिलेगी। कुंडली में यदि शनि मारकेश है तो उन लोगों को इन 33दिनों की अवधि में राहत मिलेगी। शनि खराब है तो कोई भी कार्य आसानी से नहीं होता। भागदौड़ बनी रहती है। इस दौरान भागदौड़ कम होगी।
शनि के उपाय
विश्वविख्यात भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि शनि महाराज को प्रसन्न करने के लिए सबसे अच्छा अवसर शनिवार, शनि प्रदोष, शनि अमावस्या, शनि जयंती और भगवान हनुमान की उपासना को माना गया है। शनिवार के दिन काले श्वान को तेल लगाकर रोटी खिलाना चाहिए। अगर आपके ऊपर शनि की महादशा चल रही तो उस समय मांस-मदिरा का त्याग करना चाहिए। महामृत्युंजय मंत्र ॐ नमः शिवाय का जाप करें शनि के दुष्प्रभाव से बचने के लिए शनिवार के दिन काली गाय की सेवा करें। हर शनिवार शनि मंदिर जाकर शनि महाराज को सरसों का तेल चढ़ाना चाहिए। पीपल के पेड़ के नीचे तेल का दीया जलने से शनि की कृपा मिलती है। हनुमान भैरव और शनि चालीसा का पाठ करने से शनि की कृपा मिलती है।
(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)
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