Sharad Purnima 2022: आज का चांद होगा पूरा सूर्ख लाल, लोग दे रहे इसे ये नाम

Sharad Purnima 2022: आज का चांद होगा पूरा सूर्ख लाल, लोग दे रहे इसे ये नाम
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Sharad Purnima 2022: अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को रास पूर्णिमा या शरद पूर्णिमा आदि नामों से जाना जाता है। मान्यता है कि, आज के दिन आसमान से अमृत बरसता है और आज के दिन से ही सर्दी का आगाज माना जाता है।

Sharad Purnima 2022: अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को रास पूर्णिमा या शरद पूर्णिमा आदि नामों से जाना जाता है। मान्यता है कि, आज के दिन आसमान से अमृत बरसता है और आज के दिन से ही सर्दी का आगाज माना जाता है। साल 2022 में ये पावन दिन आज 09 अक्टूबर हो पड़ रहा है और वैसे तो प्रत्येक पूर्णिमा तिथि अपने में काफी खास होती है, लेकिन इस बार शरद पूर्णिमा काफी स्पेशल मानी जा रही है, क्योंकि आज के दिन चांद पूरा तो दिखायी देगा ही, परन्तु साथ ही चांद का रंग थोड़ा गुलाबी नजर आएगा। इसीलिए आज दिखायी देने वाले चंद्रमा को हंटर मून भी कहा जा रहा है।

जिस प्रकार हिन्दू धर्मशास्त्रों में पूर्णिमा तिथि के बारे में बताया गया है, ठीक उसी तरह से अमेरिका में पूर्णिमा अर्थात कंपलीट चांद को सीजन के हिसाब से अलग-अलग नामों से पुकारा जाता है। ऐसा कहा जाता है कि, अमेरिका के किसानों के पास जब जूलियन या ग्रोइन कैलेंडर नहीं था, तब वहां के लोग मौसम के अनुसार ही पूर्णिमा तिथि के बारे में बातें करते थे। वहां के लोग अक्टूबर माह में आने वाली पूर्णिमा को हंटर मून कहते थे।

इसके पीछे की मान्यता है कि, अक्टूबर के महीने में कम्पलीट चांद का प्रकाश काफी सुनहरा होता है और ऐसा माना जाता है कि, इस दिन चांद की चांदनी में शिकारियों अर्थात हंटर्स को शिकार करने में काफी आसान हो जाता है। इसीलिए इस पूर्णिमा तिथि को अमेरिका के किसानों और शिकारियों ने हंटर मून का नाम दे दिया।

वहीं कई देशों में इसे ग्रास मून, केवल मून के नाम से भी जाना जाता है। हालांकि कई स्थानों पर लोग चांद के कलर बदलने को अच्छा नहीं मानते हैं, क्योंकि माना जाता है कि, चांद का बदला हुआ रंग आने वाले संकट की आहट होता है। यह बाढ़, भूकंप और प्रलय जैसी विपदाओं की ओर इशारा करता है।

वहीं कुछ लोगों का मानना है कि, चंद्रमा जब धरती के काफी पास होता है तो वह बहुत ही अधिक चमकीला नजर आता है, जिससे इसका बदल जाता है। ये सब एक प्रकार की भौगोलिक प्रक्रिया है। वहीं हिन्दू धर्मशास्त्रों और ज्योतिष की मानें तो चंद्रमा के पूर्ण होने को ही पूर्णिमा कहा जाता है और मूलरुप से यह संस्कृत का शब्द है।

माना जाता है कि, धरती सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाती है और वहीं चंद्रमा धरती का चक्कर लगाता है। वहीं चंद्रमा को धरती का पूरा एक चक्कर लगाने में लगभग साढ़े 27 दिन का समय लगता है।

वहीं इस चक्कर के दौरान जब सूर्य और चांद के बीच में धरती आ जाती है तो तीनों एक रेखा पर नहीं होते, बल्कि धरती की पॉजिशन थोड़ी तिरछी हो जाती है और इस दौरान सूर्य का प्रकाश सीधे चंद्रमा पर पड़ने लगता है, जिस कारण से चंद्रमा गोल और चमकीला दिखायी देने लगता है। क्योंकि पृथ्वी सीध में नहीं होती, इसी कारण से हम लोग चंद्रमा को पूर्ण रूप से देख पाते हैं। वहीं चंद्रमा की यही स्थिति पूर्णिमा कही जाती है।

वहीं पूर्णिमा तिथि का काफी धार्मिक महत्व भी है। आज के दिन विशेष पूजा-अनुष्ठान किए जाते हैं। मान्यता है कि, आज के दिन मां महालक्ष्मी जी की अराधना करने से मनुष्य को सुख-समृद्धि और वैभव की प्राप्ति होती है।

(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।)

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