Special Story Navaratri 2023: नवरात्रि पर्व में क्यों खेला जाता है गरबा-डांडिया, जानें इसके पीछे की कहानी

Navaratri Story : नवरात्र पर्व की शुरूआत होते ही फेस्टिवल सीजन की शुरुआत हो जाती है। इन दिनों लोग माता के नौ स्वरूपों की पूजा-अर्चना कर मां दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। जगह-जगह पर भव्य पंडाल सजाए जाते हैं। नवरात्रि पर्व पर माता दुर्गा की पूजा-आराधना और जयकारे हर-तरफ सुने जा सकते हैं। गरबा के लिए लोग काफी दिन पहले से ही तैयारियां शुरू कर देते हैं। खासतौर से शारदीय नवरात्रि पर गरबा और डांडिया खेला जाता है। लेकिन क्या आपको पता है कि आखिर नवरात्रि पर ही क्यों खेला जाता है गरबा
नवरात्रि से गरबा का रिश्ता
‘गरबा’ का मतलब- गर्भ दीप होता है। गरबा का नवरात्रि के 9 दिनों से खास रिश्ता है। मां को प्रसन्न करने के अलग-अलग तरीके से गरबा और डांडिया खेला जाता है। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार नृत्य साधना का एक मुख्य रास्ता है। गरबा के जरिए मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए देशभर में इसका आयोजन किया जाता है।
गरबा नृत्य के समय महिलाएं 3 तालियों का प्रयोग करती हैं क्योंकि ये तालियां पूरे ब्रह्मांड के त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश को समर्पित होती हैं। इन तालियों की ध्वनि से जो शक्ति या तेज और तरंगें उत्पन्न होती हैं, उससे शक्ति स्वरूपा मां दुर्गा जागृत होती हैं। नवरात्रि में गरबा खेलना माता की भक्ति का एक तरीका है।
कहां से शुरु हुआ गरबा
नवरात्रि के मौके पर गरबा और डांडिया खेलना कोई आज की परंपरा नहीं, बल्कि सदियों पुरानी है। पहले के समय में गरबा और डांडियां को भारत के गुजरात और राजस्थान जैसे पारंपरिक स्थानों पर ही खेला जाता था, लेकिन समय के साथ इसकी लोकप्रियता दुनियाभर में बढ़ती गई।
गरबा शब्द गर्भ और दीप से मिलकर बना है। नवरात्रि के पहले दिन मिट्टी के घड़े में कई सारे छेद करके इसके अंदर एक दीपक जलाकर रखा जाता है। इसके साथ ही चांदी का एक का सिक्का भी रखते हैं, जिसे दीप गर्भ के नाम से भी जाना जाता है।
कैसे खेलते हैं गरबा
गरबा नृत्य अलग-अलग तरीके से खेला जाता है। गरबा नृत्य में महिलाएं और पुरुष ताली, चुटकी, डांडिया और मंजीरों का इस्तेमाल करते हैं। ताल से ताल मिलाने के लिए महिलाओं और पुरुषों का दो या फिर चार का ग्रुप बनाया जाता है। गरबा नृत्य में मां को समर्पित गाने के साथ कृष्ण की रासलीला से जुड़े गीत गाए और बजाए जाते हैं।
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