Shardiya Navratri 2020 Kab Ki Hai: शारदीय नवरात्रि में इस विधि से करें मां कुष्मांडा की पूजा, सूर्य से भी तेज चमकेगा आपका भाग्य

Shardiya Navratri 2020 Kab Ki Hai: शारदीय नवरात्रि में इस विधि से करें मां कुष्मांडा की पूजा, सूर्य से भी तेज चमकेगा आपका भाग्य
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Shardiya Navratri 2020 Kab Ki Hai: शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri) के चौथे दिन मां दुर्गा (Goddess Durga) के चौथे स्वरूप मां कुष्मांडा की पूजा की जाती है। मां कुष्मांडा को सूर्य की आधिपत्य देवी माना जाता है। इनकी पूजा करने से सूर्य के सभी दोष समाप्त होते हैं तो चलिए जानते हैं मां कुष्मांडा की पूजा विधि।

Shardiya Navratri 2020 Kab Ki Hai: नवरात्रि ( Navratri) के चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा की जाती है। मां कुष्मांडा ही संसार की ऊर्जा का प्रतीक है ।क्योंकि यही सूर्य को दिशा और गति प्रदान करती हैं। इसलिए नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा (Goddess Kushmanda Puja) का विधान है। लेकिन यदि आप पूरे विधि विधान से मां कुष्मांडा की पूजा नहीं करते तो आपको नवरात्रि व्रत का पूर्ण फल प्राप्त नहीं होगा तो चलिए जानते हैं मां कुष्मांडा की पूजा की संपूर्ण विधि।

मां कुष्मांडा की पूजा विधि (Maa Kushmanda Ki Puja Vidhi)

1.मां कुष्मांडा की पूजा नवरात्रि के चौथे दिन की जाती है। इस दिन साधक को सूर्योदय से पहले स्नान करना चाहिए और साफ वस्त्र धारण करने चाहिए।

2. अगर आपने नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा की चौकी स्थापना की है तो वहीं पर ही मां कुष्मांडा के नाम से पूजा करें

3.यदि आपने नवरात्रि के पहले दिन चौकी की स्थापना नहीं की है तो आप एक साफ चौकी लेकर उस पर गंगाजल छिड़कें और हरे रंग का कपड़ा बिछाकर मां कुष्मांडा की प्रतिमा या तस्वीर को स्थापित करें और साथ ही कलश की भी स्थापना करें।

4.इसके बाद मां कुष्मांडा का रोली से तिलक करें और मां को लाल रंग के फूलों की माला पहनाएं और उन्हें लाल रंग के फूल ही अर्पित करें।

5.मां कुष्मांडा को पुष्प अर्पित करने के बाद उन्हें वस्त्र, सौभाग्य सूत्र, चंदन, रोली, हल्दी, सिंदूर, दुर्वा, बिल्वपत्र, आभूषण, सुगंधित द्रव्य, धूप-दीप, नैवेद्य, फल, पान आदि अर्पित करें।

6.इसके बाद हाथ में फूल लेकर सुरासम्पूर्णकलशं रूधिराप्लुतमेव च. दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मंत्र का जाप करें और फूल को चढ़ा दें।

7. मंत्र जाप के बाद मां कुष्मांडा की धूप व दीप जलाकर विधिवत पूजा करें।

8.इसके बाद मां कुष्मांडा की कथा पढ़ें या सुनें और उनकी कपूर से आरती उतारें।

9.मां कुष्मांडा की आरती के बाद उन्हें बताशे का प्रसाद चढ़ाएं।

10.इसके बाद त्रिदेवों और मां लक्ष्मी की पूजा भी अवश्य करें और अंत में बताशे का प्रसाद परिवार के सभी सदस्यों के बीच में बाटें और स्वंय भी ग्रहण करें।

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