Shardiya Navratri 2020 Kab Se Start Hai : जानिए शारदीय नवरात्रि के पांचवें दिन स्कंदमाता की पूजा का महत्व

Shardiya Navratri 2020 Kab Se Start Hai : शारदीय नवरात्रि 17 अक्टूबर 2020 (Shardiya Navratri 17 October 2020) से प्रारंभ हो रही है। मां दुर्गा की पूजा (Goddess Durga Puja) के लिए नवरात्रि को बहुत ही विशेष माना जाता है। नवरात्रि के नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। मां दुर्गा के पांचवें स्वरूप को स्कंदमाता के नाम से जाना जाता है और नवरात्रि के पांचवें दिन इन्हीं की पूजा की जाती है। स्कंदमाता की पूजा से संतान संबंधी सभी परेशानियां दूर होती है। इसके अलावा क्या है स्कंदमाता की पूजा का महत्व आइए जानते हैं...
स्कंदमाता की पूजा का महत्व (Skandmata Ki Puja Ka Mahatva)
नवरात्रि के पांचवें दिन स्कंदमाता की पूजा की जाती है। यह मां दुर्गा का पांचवां स्वरूप माना जाता है। भगवान कार्तिकेय की माता होने के कारण और उनके मां की गोद बैठे होने के कारण ही इन्हें स्कंदमाता के नाम से जाता है। मां की चार भुजाएं हैं। जिसमें से उनके दो हाथों में कमल के फूल हैं और एक हाथ से माता ने कार्तिकेय को अपनी गोद में बैठा रखा है और अपने दूसरे दूसरे हाथ से वह अपने भक्तों को आशीर्वाद दे रही हैं।
स्कंदमाता शेर पर पद्माआसन धारण करके विराजमान हैं। पुराणों में मां स्कंदमाता को कुमार और शक्ति कहकर पुकारा गया है। नवरात्रि के पांचवें दिन स्कंदमाता की पूजा को बहुत ही अधिक महत्व दिया जाता है। इस दिन यदि कोई भक्त मां की एकाग्र मन से पूजा करता है तो उसे सभी तरह के सुख प्राप्त होते हैं। जो लोग संतान सुख से वंचित हैं या फिर किसी को संतान संबंधी कोई परेशानी है तो उसे स्कंदमाता की पूजा अवश्य करनी चाहिए।
मां की कृपा से उसकी संतान संबंधी सभी तरह की परेशानियां जल्द ही समाप्त हो जाएगी। स्कंदमाता को बुध की आधिपत्य देवी माना जाता है। इसलिए जो भी व्यक्ति बुध ग्रह की पीड़ा से परेशान हो या उनकी कुंडली में बुध ग्रह खराब हो तो वह उन्हें भी स्कंदमाता की पूजा अवश्य करनी चाहिए। इसके साथ ही स्कंदमाता की पूजा से घर के सभी प्रकार के कलेश दूर होते हैं। जो भी व्यक्ति मां की पूरे विधि विधान से पूजा करता है।वह अलौकिक तेज और कांतिमय हो जाता है।
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