Shardiya Navratri 2020 Start Date : जानिए शारदीय नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा का महत्व

Shardiya Navratri 2020 Start Date : शारदीय नवरात्रि 17 अक्टूबर 2020 (Shardiya Navratri 17 October 2020) को प्रारंभ हो रही है। नवरात्रि के नौ दिनों तक मां दुर्गा (Goddes Durga) के सभी नौ रूपों की विधिवत पूजा अर्चना की जाती है। मां दुर्गा का चौथा स्वरूप मां कुष्मांडा को माना जाता है और नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा की ही पूजा की जाती है। लेकिन क्या है मां कुष्मांडा की पूजा का महत्व आइए जानते हैं...
मां कुष्मांडाकी पूजा का महत्व (Maa kushmanda Ki Puja Ka Mahatva)
नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा की जाती है। यह मां दुर्गा का चौथा स्वरूप माना जाता है। पुराणों के अनुसार मां कुष्मांडा से ही ब्रह्माण्ड का जन्म हुआ था। मां कुष्मांडा सूर्यमंडल के मध्य में निवास करती हैं। मां ही सूर्य को नियंत्रित करती हैं। माता कुष्मांडा की आकृति सूर्य के समान ही तेज मानी जाती है। इसी कारण से इन्हें दैदिप्यमान भी कहा जाता है।
मां कुष्मांडा के स्वरूप की बात करें तो इनका मुख सूर्य के समान ही तेज है। माता सिंह की सवारी करती हैं और इनकी आठ भुजाएं हैं। जिनमें उन्होंने कमण्डलु, धनुष, बाण, कमल का फूल, अमृत से भरा कलश, चक्र और गदा व माला को धारण किया है। उनकी इन सभी भुजाओं में आठ प्रकार की सिद्धियां स्थित है। मां ही सूर्यदेव को ऊर्जा और दिशा प्रदान करती हैं। देवी कुष्मांडा के कारण ही पूरे संसार में प्रकाश फैला है।
मां कुष्मांडा सूर्य की आधिपत्य देवी मानी जाती है। इसलिए इनकी पूजा करने से सूर्य के सभी दोष समाप्त होते हैं। मां कुष्मांडा की पूजा करने से आयु, यश, बल, और स्वास्थ्य में वृद्धि होती है। इतना ही नहीं मां की पूजा से जीवन की सभी परेशानियां भी समाप्त हो जाती है। मां कुष्मांडा अपने भक्तों के सभी तरह के रोग, शोक और दोषों को दूर करती है। इसलिए नवरात्रि के चौथे दिन मां दुर्गा के इस स्वरूप की पूजा अवश्य ही करनी चाहिए।
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