Shardiya Navratri 2021: आश्विन नवरात्रि कब से प्रारंभ होंगी और जानें घटस्थापना का शुभ मुहूर्त

Shardiya Navratri 2021: आश्विन नवरात्रि कब से प्रारंभ होंगी और जानें घटस्थापना का शुभ मुहूर्त
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Shardiya Navratri 2021: हिन्दू पंचांग के अनुसार, आश्विन नवरात्रि का आरंभ सात अक्टूबर 2021, दिन गुरुवार से होगा और समाप्ति 14 अक्टूबर 2021, दिन गुरुवार को अर्थात दुर्गानवमी के दिन होगी। नवरात्रि में कलश स्थापना का विशेष महत्व होता है। तो आइए जानते हैं कलश स्थापना यानी घटस्थापना के सबसे उत्तम शुभ मुहूर्त के बार में...

Shardiya Navratri 2021: हिन्दू पंचांग के अनुसार, आश्विन नवरात्रि का आरंभ सात अक्टूबर 2021, दिन गुरुवार से होगा और समाप्ति 14 अक्टूबर 2021, दिन गुरुवार को अर्थात दुर्गानवमी के दिन होगी। नवरात्रि में कलश स्थापना का विशेष महत्व होता है। तो आइए जानते हैं कलश स्थापना यानी घटस्थापना के सबसे उत्तम शुभ मुहूर्त के बार में...

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सात अक्टूबर 2021 दिन गुरुवार को चित्रा नक्षत्र, वैधृति योग के साथ शारदीय नवरात्रि का शुभारंभ होने जा रहा है, लेकिन इस दिन प्रतिपदा तिथि दोपहर 01 बजकर 46 मिनट तक ही है। दोपहर 01 बजकर 46 मिनट तक प्रतिपदा तिथि होने के कारण घटस्थापना इस समय से पहले ही कर लेना चाहिए।

शारदीय नवरात्रि 2021 कलश स्थापना शुभ मुहूर्त

कलश स्थापना की तिथि

07 अक्टूबर

कलश स्थापना का वार

गुरुवार

नक्षत्र

चित्रा

योग

वैधृति

घटस्थापना का सबसे उत्तम मुहूर्त

सुबह 04 बजकर 30 मिनट से सूर्योदय तक ब्रह्म, इसके बाद सुबह 06 बजकर 30 मिनट से 08 बजे तक शुभ चौघड़िया, सुबह 11 बजे से दोपहर 01 बजकर 30 मिनट तक चल व लाभ चौघड़िया, इन मुहूर्तों में घटस्थापना करना सर्वश्रेष्ठ रहेगा। वहीं किन्ही कारणों से इन शुभ मुहूर्तों में घटस्थापना नहीं होती है तो शाम को 05 बजे 06 बजकर 30 मिनट तक घटस्थाना अवश्य कर लें।

वहीं 15 अक्टूबर 2021, दिन शुक्रवार को विजयादशी का पर्व मनाया जाएगा। विजयादशमी का विजय मुहूर्त दोपहर 02 बजकर 21 मिनट से दोपहर 03 बजकर 07 मिनट रहेगा। विजया दशमी के दिन ही भगवान श्रीराम ने माता जानकी को राक्षस राज रावण के चंगुल से छुड़ाने के लिए उसका वध किया था और रावण के छोटे भाई विभीषण को लंका का राज्य सौंपकर वहां का राजा नियुक्त किया था। इसीलिए तभी से बुराई पर अच्छाई की विजय के रुप में विजयादशमी का पर्व मनाने की परंपरा चली आ रही है। इस दिन रावण का उसके भाई कुंभकरण और पुत्र मेघनाद समेत पुतला दहन किया जाता है और भगवान श्रीराम का विजय का उत्सव मनाया जाता है।

(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)

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