Shardiya Navratri 2022: दुर्गा अष्टमी पर ऐसे करें कन्या पूजन और व्रत पारण, मां भगवती होंगी अति प्रसन्न

Shardiya Navratri 2022: दुर्गा अष्टमी और नवमी तिथि के दिन नवरात्रि का समापन हो जाता है। नवरात्रि के समापन अवसर पर कलश विसर्जन, व्रत पारण और कन्या पूजन की विधि के बारे में व्रती लोगों को जान लेना आवश्यक है। नवरात्रि के समापन अवसर पर कलश विसर्जन और व्रत पारण विधि पूर्वक करना ही शास्त्रों में शुभ बताया गया है। शारदीय नवरात्रि की अष्टमी सोमवार और नवमी तिथि मंगलवार को पड़ रही है। अष्टमी तिथि 02 अक्टूबर 2022, दिन रविवार शाम 06:47 बजे से लग रही है और 03 अक्टूबर 2022, दिन सोमवार को शाम 04:38 बजे तक रहेगी, इसके बाद नवमी तिथि प्रारंभ हो जाएगी। वहीं नवमी तिथि 04 अक्टूबर 2022, दिन मंगलवार को दोपहर 02:21 तक रहेगी और दशमी तिथि प्रारंभ जाएगी। अष्टमी तिथि का व्रत का पारण करने वाले इस दौरान कन्या पूजन करके व्रत खोल सकते हैं। वहीं जो लोग नवमी तिथि के दिन भी हवन पूजन और कन्या पूजन आदि करके नवरात्रि व्रत का समापन करते हैं, वो नवमी तिथि के दिन व्रत का पारण कर सकते है। वहीं नवरात्रि व्रत पारण और कन्या पूजन में कुछ नियम बताए गए है, जिनका पालन करना बहुत ही जरुरी होता है। तो आइए जानते हैं नवरात्रि व्रत की समापन विधि के बारे में...
नवरात्रि व्रत समापन विधि
पूरे नौ दिन मां दुर्गा के व्रत और पूजा-पाठ करने के बाद दुर्गा अष्टमी और महानवमी तिथि के दिन नवरात्रि का समापन होता है। अष्टमी और नवमी तिथि के दिन विधि-विधान से पूजा की जाती है। इस दिन हवन का भी बहुत महत्व बताया गया है। इसके लिए ऊं श्रीं श्रीं क्लीं हूं मंत्र का जाप करते करना चाहिए और इसी मंत्र के साथ कलश विसर्जित करना चाहिए।
इसके बाद मां भगवती दुर्गा के देवी सूक्तम का पाठ करके मां भगवती से क्षमा याचना करें। व्रत समापान से पहले हवन और कन्या पूजन जरुर करें। कन्याओं को दान-दक्षिणा देकर उनका आशीर्वाद लें।
प्रात:काल में दुर्गा सप्तशती का पाठ करें और (देवी सूक्तम) मां भगवती से क्षमा याचना करें। देवी की स्तुति कर क्षमा याचना करें और मन ही मन इन नौ दिनों के दौरान व्रत में जो भूल हो गई हो, उसकी क्षमा मांगें।
ऊं श्रीं श्रीं क्लीं हूं या ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै का जाप करते हुए कलश उठाएं।
कलश का जल पहले अपने अपने ऊपर छिड़कें और फिर घर के अन्य सदस्यों पर। कलश का जल घर के चारों कोनों पर छिड़कें। कलश में पड़े सिक्के को तिजोरी में रखें और जल तुलसी या किसी फूल वाले गमले में चढ़ा दें।
कलश पर बंधा कलावा बाजू या गले में धारण कर सकते हैं। कलश पर रखा नारियल अपनी पत्नी और बहन की गोद में ही रखें। मां से लिया गया नारियल पुण्य प्रतापी कहा जाता है। इसलिए विधि-विधान का ख्याल रखें।
कन्या पूजन के नियम
कन्या पूजन के लिए विधिपूर्वक कन्याओं को जिमाएं। नौ कन्याओं के साथ लांगूर यानि लड़के को भी जिमाएं। पूजन में बच्चों के साथ मां भगवती की पूजा और पाठ करें। हवन में कन्याओं को कथा सुनने के लिए आमंत्रित करें।
कन्याओं में से किसी एक को मां दुर्गा का स्वरूप मानते हुए उनका विशिष्ट पूजन करें। शाम को मंदिर में जाकर मां भगवती को प्रसाद और श्रृंगार अर्पित करें। हवन के बाद बचे सामान को बहते जल में प्रवाहित करें।
इस बार अष्टमी के व्रत का समापन सोमवार को है। वहीं नवमी तिथि मंगलवार और विजयदशमी बुधवार को है। नवरात्रि समापन के बाद मां दुर्गा की प्रतिमा को जल में विसर्जित कर दें, वहीं अगर मूर्ति धातु की हो तो सामान्यत: मंदिर में ही रहने दें।
(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।)
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