Shardiya Navratri 2022 : शारदीय नवरात्रि के दौरान कैसे करें कन्या पूजन, जानें ये सरल विधि

Shardiya Navratri 2022 : शारदीय नवरात्रि के दौरान कैसे करें कन्या पूजन, जानें ये सरल विधि
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Shardiya Navratri 2022 : शारदीय नवरात्रि का पर्व अब प्रारंभ होने ही वाला है, इस दौरान मातारानी के भक्त मां भगवती अंबे को प्रसन्न करने के लिए व्रत रखते हैं और अष्टमी या नवमी तिथि के दिन कन्या पूजन कर व्रत का पारण करते हैं।

Shardiya Navratri 2022 : शारदीय नवरात्रि का पर्व अब प्रारंभ होने ही वाला है, इस दौरान मातारानी के भक्त मां भगवती अंबे को प्रसन्न करने के लिए व्रत रखते हैं और अष्टमी या नवमी तिथि के दिन कन्या पूजन कर व्रत का पारण करते हैं। तो आइए जानते हैं इस बार शारदीय नवरात्रि के दौरान अष्टमी या नवमी तिथि को कन्या पूजन कैसे करें और कन्या पूजन करने की विधि क्या है।

नवरात्रि में पूरे नौ दिनों तक मां अंबे भवानी के अलग-अलग नौ स्वरूप की पूजा होती है। वहीं अष्टमी और नवमी तिथि पर कन्या पूजन किया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, कन्या पूजन करने के लिए 10 वर्ष से कम उम्र वाली कन्याओं मां अंबे भवानी का स्वरूप मानकर उनकी पूजा की जाती है। अपने घर में इस दौरान कन्या पूजन करने से भक्तों को मां अंबे भवानी की विशेष कृपा की प्राप्ति होती है और भक्तों के जीवन में आने वाला दुख आने से पहले ही नष्ट हो जाता है। साथ ही अंबे माता की कृपा से भक्तों की दरिद्रता का भी नाश हो जाता है और धन-धान्य से आपका घर भरा रहता है। वहीं आपके परिवार में सुख-समृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।

कन्या पूजन की विधि (Kanya Pujan Vidhi)

शारदीय नवरात्रि में अष्टमी या नवमी तिथि को कन्या पूजन करने से पहले शास्त्रों के अनुसार, 02 साल से लेकर 10 साल के बीच की कन्याओं के साथ एक बालक को भी पूजा के लिए अपने घर आमंत्रित करें। शास्त्रों की मानें तो कन्या पूजन में एक बालक होना भी जरूरी माना जाता है।

कन्या पूजन के दिन सबसे पहले मां महागौरी की पूजा पूरे विधि पूर्वक करें, इसके बाद पूजा में आमंत्रित की गई सभी कन्याओं और एक बालक को बुलाकर शुद्ध जल से उनके पैरों को धोएं। इसके बाद कन्याओं और बालक को विराजने के लिए आसन दें।

अब आप मां अंबे भवानी के सामने घी का दीपक जलाएं। इसके बाद आप सभी कन्याओं और बालक का टीका करें। तथा हाथ में कलावा बांध दें। इसके बाद आप कन्याओं और बालक को भोजन कराएं।

अब भोजन कराने के पश्चात आप कन्याओं को अपनी सामर्थ्य के अनुसार, दान-दक्षिणा दें अथवा कोई अन्य उपहार भेंट में देकर उनके पैर छूएं और मां अंबे भवानी का ध्यान करते हुए अपने परिवार की सुख-समृद्धि की कामना करें। अब आप सभी कन्याओं और बालक को सम्मान के साथ विदा करें।

(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।)

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