कन्या संक्रांति पर ऐसे करें भगवान विश्वकर्मा की पूजा, आइए जानें

कन्या संक्रांति पर ऐसे करें भगवान विश्वकर्मा की पूजा, आइए जानें
X
कन्या संक्रांति 16 सितंबर 2020, दिन बुधवार को है। हिन्दू कलेंडर के अनुसार संक्रांति वह दिन है, जब सूर्य एक राशि का चक्र पूरा करके दूसरी राशि में प्रवेश करता है। तो वह दिन संक्रांति कहलाता है। कन्या संक्रांति के दिन पूर्वजों के लिए कई प्रकार के दान, श्राद्ध, पूजा और अनुष्ठान किए जाते हैं।

कन्या संक्रांति 16 सितंबर 2020, दिन बुधवार को है। हिन्दू कलेंडर के अनुसार संक्रांति वह दिन है, जब सूर्य एक राशि का चक्र पूरा करके दूसरी राशि में प्रवेश करता है। तो वह दिन संक्रांति कहलाता है। कन्या संक्रांति के दिन पूर्वजों के लिए कई प्रकार के दान, श्राद्ध, पूजा और अनुष्ठान किए जाते हैं।

कन्या संक्रांति को विश्वकर्मा पूजा के रुप में भी मनाया जाता है। कन्या संक्रांति पर बहुत से लोग दान, स्नान और अपने पितृों की आत्मा की शांति के लिए पूजा-पाठ भी करते हैं। संक्रांति के दिन पवित्र नदी अथवा जलाशय में स्नान करना बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन पूरे विधि-विधान से पूजा की जाए तो सभी प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं। और व्यापार में आयी हुई परेशानियां समाप्त हो जाती हैं। और धन-संपदा से घर भर जाता है। इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद पूजास्थल को साफ कर लें। और पूजा करने से पहले भगवान विश्मकर्मा की मूर्ति अथवा तस्वीर स्थापित कर लें। इसके बाद दीया जलकर भगवान विश्वकर्मा का ध्यान लगाएं। और भगवान विश्मकर्मा के मंत्र का जाप करें।

भगवान विश्वकर्मा का मंत्र

ऊं आधार शक्तपे नमः

ऊं कूमयि नमः

ऊं अनंतम नमः

ऊं पृथिव्यै नमः

ऊं श्री सृष्टतनया सर्वसिद्धया विश्वकर्माया नमो नमः

इस मंत्र का जाप करने से मन पवित्र होता है, इस मंत्र का 108 बार जाप करने के बाद भगवान विश्वकर्मा जी की आरती करें।

विश्वकर्मा भगवान की आरती

ॐ जय श्री विश्वकर्मा प्रभु जय श्री विश्वकर्मा,

सकल सृष्टि के कर्ता रक्षक श्रुति धर्मा.

आदि सृष्टि में विधि को, श्रुति उपदेश दिया,

शिल्प शस्त्र का जग में, ज्ञान विकास किया, जय श्री विश्वकर्मा…

ऋषि अंगिरा ने तप से, शांति नहींं पाई,

ध्यान किया जब प्रभु का, सकल सिद्धि आई.

रोग ग्रस्त राजा ने, जब आश्रय लीना,

संकट मोचन बनकर, दूर दुख कीना, जय श्री विश्वकर्मा…

जब रथकार दम्पती, तुमरी टेर करी,

सुनकर दीन प्रार्थना, विपत्ति हरी सगरी.

एकानन चतुरानन, पंचानन राजे,

द्विभुज, चतुर्भुज, दशभुज, सकल रूप साजे, जय श्री विश्वकर्मा…

ध्यान धरे जब पद का, सकल सिद्धि आवे,

मन दुविधा मिट जावे, अटल शांति पावे.

श्री विश्वकर्मा जी की आरती, जो कोई नर गावे,

कहत गजानन स्वामी, सुख सम्पत्ति पावे, जय श्री विश्वकर्मा

आरती के करने के बाद अपने कारोबार वाली जगह पर अपने औजारों की पूजा करें। और कारोबार की जगह पर हवन आदि करें। और हवन के दौरान भी इस मंत्र के साथ आहूति हवन में डालें।

कन्या संक्रांति पर भगवान विश्वकर्मा की इस प्रकार विधि-विधान से पूजा करने पर आने वाले दिनों में आपके व्यापार में प्रगति होगी। और आपकी धन, संपदा में कोई कमी नहीं रहेगी। भगवान विश्वकर्मा की पूजा आप प्रतिदिन भी कर सकते हैं।

Tags

Next Story