Shravani Upakarma 2023: श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन ऐसे बदलें जनेऊ, जानें पूरी विधि

Shravani Upakarma 2023: हिन्दू धर्म में श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाए जाने वाले श्रावणी उपाकर्म का एक अलग ही महत्व होता है। वहीं, इस महापर्व का संबंध उस पवित्र ब्रह्मसूत्र से है, जिसके तीन धागे देवऋण, पितृऋण के साथ ऋषिऋण के प्रतीक माने जाते हैं। यह ब्रह्मसूत्र, यज्ञोपवीत या कहें तो जनेऊ से जुड़ा पर्व साल भर में एक बार आता है। इसी कारण है कि लोग इस त्योहार का बड़ी बेसब्री से इंतजार करते हैं। इस श्रावणी उपाकर्म को आत्मशुद्धि का पर्व माना जाता है। आइये हम इस पर्व की पूजा विधि के बारे में जानते हैं।
श्रावणी उपाकर्म
सनातन धर्म में ब्राह्मण समाज से जुड़े लोगों में यज्ञोपवीत या फिर यूं कहें तो जनेऊ बहुत ही अनिवार्य माना गया है। इसी के चलते इस समाज से जुड़े लोगों के लिए श्रावणी उपाकर्म एक विशेष महत्व माना गया है। दरअसल, इस पावन पर्व के शुभ अवसर पर हिंदू धर्म से जुड़े सभी समाज के लोग पूरे निष्ठा के साथ विधि-विधान से अपने जनेऊ को बदलते हैं। उत्तर भारत में लोग इस पर्व को श्रावणी उपाकर्म के नाम से जानते हैं। वहीं अगर दक्षिण भारत की बात की जाए तो इस अबित्तम के नाम से जाना जाता है। दरअसल, श्रावणी उपाकर्म के दिन पूरे विधि-विधान से पुराने जनेऊ उतारकर नया जनेऊ धारण किया जाता है।
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श्रावणी उपाकर्म की विधि-विधान
इस पावन पर्व पर पुराने यज्ञोपवीत यानी जनेऊ को बदलने के लिए लोग किसी एक नदी या फिर तीर्थ स्थान पर इकट्ठे होते हैं। इसके बाद गुरु के निर्देशन के अनुसार ये कार्य संपन्न करते हैं। पुराने जनेऊ को बदलने के लिए सबसे पहले गाय के दूध, दही, घी के साथ ही गोबर, गोमूत्र और पवित्र कुशा को अपने हाथ में लेकर पूरे साल किए गए पाप-कर्म को प्रायश्चित करते हैं।
Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।
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