चांदी की अंगुठी पहनने के फायदे, आप भी जानें

ज्योतिष शास्त्र में व्यक्ति की प्रत्येक समस्या का समाधान छिपा हुआ है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अलग-अलग धातुओं का अलग-अलग महत्व होता है। कई लोग ऐसे हैं जिनके पास चांदी की बनी रिंग तो होती है लेकिन उसके लाभ नहीं जानता है। तो आइए आप भी जानें चांदी पहनने के फायदे के बारे में जरुरी बातें।
अगर आपको चांदी की अंगुठी के फायदे चाहिए तो आप इस अंगुठी को अपनी माता के हाथ से ही धारण करें।
चांदी की अंगुठी का संबंध शुक्र और चंद्रमा ग्रह से है। शुक्र संपन्नता प्रदान करता है और चंद्रमा मन का प्रतीक है। जिन घरों में चांदी की धातु होती है तो उन घरों में सुख, समृद्धि का वास हमेशा बना रहता है।
अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में चंद्रमा कमजोर हो या अशुभ ग्रहों के साथ बैठा हो तो उस जातक को अपने दाहिने हाथ की सबसे छोटी अंगुली में चांदी की अंगुठी का पहनना चाहिए। अगर आपका चंद्रमा खराब हो तो दिमाग से संबंधित कार्यों में रूकावटें आती हैं। या ऐसे लोगों को सफलता नहीं मिल पाती है।
जिन लोगों की कुंडली में शुक्र ग्रह कमजोर हो तो उन लोगों को दाहिने हाथ के अंगुठे में या सबसे छोटी अंगुली में चांदी की अंगुठी पहनने से बहुत लाभ मिलता है। शुक्र ग्रह के अशुभ प्रभाव के कारण परिवार के सदस्यों के बीच झगड़ा रहता है। इन समस्याओं से बचने के लिए आप चांदी की अंगुठी को धारण कर सकते हैं।
अगर आपको बात-बात पर गुस्सा आता है, और आप अपने क्रोध पर कंट्रोल नहीं कर पाते हैं तो आपको चांदी की अंगुठी को जरुर पहनना चाहिए। अगर आपको अंगुठी पहनना पसंद नहीं है तो आप गले में चांदी की चेन भी पहन सकते हैं। इसके अलावा आप दाहिने हाथ में चांदी का ब्रसलेट भी पहन सकते हैं।
अगर आपकी कुंडली में चंद्रमा अशुभ स्थान में बैठा है तो आपको किसी भी व्यक्ति से चांदी की कोई भी वस्तु उपहार में कभी नहीं लेनी चाहिए। अगर आप अपनी मां से चांदी की अंगुठी उपहार में लेकर पहनते हैं तो आपको इसका असर दस गुना मिलेगा। ऐसा में आपके ऊपर साकारात्मक असर बहुत तेजी से अपना काम करने लगता है। और ऐसा व्यक्ति शीघ्र ही धनवान बन जाता है।
चांदी की अंगुठी कब धारण करें, और कब खरीदें
सोमवार या शुक्रवार के दिन चांदी की अंगुठी धारण करनी चाहिए। रविवार या गुरूवार के दिन चांदी की अंगुठी खरीदकर अपने घर लानी चाहिए। फिर उसके बाद एक कटोरी में दूध भरकर उसमें उस अंगुठी को डाल दें, रात भर दूध में अंगुठी रखी रहने दें और अगले दिन दूध से अंगुठी निकालकर उसे साफ पानी से धो लें। इसके बाद घर के मंदिर में इस अंगुठी को रखें। और सभी देवी-देवाताओं का स्मरण करें। चंदन, चावल, हार, फूल और अन्य पूजन सामग्री चढ़ाएं। धूप-दीप जलाकर आरती करें। पूजा के बाद यह अभिमंत्रित की हुई अंगुठी दाहिने हाथ की सबसे छोटी अंगुली में अथवा अंगुठे में धारण करें। ध्यान रहे कि इस अंगुठी को किसी और अंगुली में ना पहनें।
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