Somvati Amavasya 2021 : हिन्दू संवत्सर 2077 का अंतिम दिन आज, कल होगा नूतन वर्ष का आगाज

- वर्ष 2021 की एकमात्र सोमवती अमावस्या आज
- सोमवती अमावस्या पर करें पितरों का श्राद्ध - तर्पण
- सुख समृद्धि की प्राप्ति के लिए करें सोमवती अमावस्या के दिन दान-पुण्य
Somvati Amavasya 2021 : चैत्र शुक्ल अमावस्या को हिन्दू पंचांग के मुताबिक हिन्दू वर्ष का अंतिम दिन माना जाता है। और चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि से नए संवत्सर यानि नए हिन्दू नववर्ष की शुरुआत होती है। वहीं सनातन धर्म में सोमवती अमावस्या का विशेष महत्व है। हिंदू पंचाग के अनुसार हर महीने अमावस्या आती है लेकिन जो अमावस्या सोमवार के दिन पड़ती है उसे सोमवती अमावस्या कहा जाता है। इस साल सोमवती अमावस्या सोमवार 12 अप्रैल को मनाई जाएगी। साल 2021 में सिर्फ एक सोमवती अमावस्या पड़ रही है। सोमवती अमावस्या के दिन स्नान, दान-पुण्य और दीपदान करने का बहुत महत्व है। इस दिन गंगा या अन्य किसी पवित्र नदी अथवा जलकुंड में स्नान करना बहुत फलदाई है। इस दिन पितरों का श्राद्ध व तर्पण आदि कार्य भी किए जाते हैं। परन्तु इस साल कोरोना महामारी के चलते नदियों में स्न्नान करना संभव न हो तो घर पर सूर्योदय से पूर्व नहाने के जल में गंगा जल डालकर स्न्नान कर सकते हैं। मान्यता है कि सोमवती अमावस्या के दिन यदि कोई व्यक्ति कुछ धर्म-कर्म करता है तो उसके जीवन के कष्ट दूर होते है।
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प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि ज्योतिष शास्त्र में सोमवती अमावस्या का विशेष महत्व है। सोमवार के दिन अमावस्या पड़ना बेहद शुभ माना जाता है। सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहा जाता है। इस दिन नदी में स्नान, जप, दान और तप करना बेहद शुभ होता है। सोमवार चंद्रमा का दिन होता है और इस दिन अमावस्या पड़ने पर सूर्य और चंद्र एक सीध में स्थित रहते हैं। इस खास संयोग को शास्त्रों में बेहद शुभ माना जाता है। इस साल सोमवती अमावस्या 12 अप्रैल को है। खास बात यह है कि इस साल सोमवती अमावस्या केवल एक ही पड़ रही है। जिसके कारण इसका महत्व और बढ़ रहा है। चंद्रमा की बढ़ती-घटती कलाओं के कारण हर महीने पूर्णिमा व अमावस्या तिथि पड़ती है। हर माह कृष्ण पक्ष की आखिरी तारीख को अमावस्या पड़ती है। इस बार चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि सोमवार 12 अप्रैल 2021 को है। सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहा जाता है।
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कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास ने बताया कि शास्त्रों में वर्णित है कि सोमवती अमावस्या के व्रत और पूजा के उपायों से सुहागनों को सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इसके अलावा पति की लंबी आयु का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। हिंदू धर्म में सोमवती अमावस्या का विशेष महत्व माना गया है। इस साल सोमवती अमावस्या 12 अप्रैल को विष्कुम्भ योग के शुभ संयोग में मनाई जाएगी। चैत्र माह की अमावस्या पर कई धार्मिक कार्य किए जाते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अमावस्या के दिन व्रत रखने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही व्रतधारी को अमोघ फल की प्राप्ति होती है। अमावस्या के दिन पितरों का तर्पण करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होने की मान्यता भी है। कहते हैं कि इस दिन दान करने से घर में सुख-शांति व खुशहाली आती है।
गंगाजल से करें स्नान
विख्यात भविष्यवक्ता अनीष व्यास ने बताया कि इस दिन गंगाजी या अन्य पवित्र नदियों में स्नान करना बहुत पुण्यकारी माना गया है। स्नान का उत्तम समय सूर्योदय से पूर्व माना जाता है। मान्यता है कि सोमवती अमावस्या पर विधिवत स्न्नान करने से भगवान विष्णु की कृपा हमेशा बनी रहती है। यदि आप नदियों में स्नान करने नहीं जा सकते तो आप घर में ही थोड़ा सा गंगाजल नहाने के पानी में मिलाकर स्नान करें। मान्यता यह भी है कि इस दिन विधिवत स्नान करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।
हिन्दू वर्ष का अंतिम दिन
ज्योतिषविद अनीष व्यास ने बताया कि चैत्र अमावस्या विक्रम संवंत वर्ष का अंतिम दिन होता है। विक्रम संवंत को आम भाषा में हिन्दू कैलेंडर के नाम से भी जाना जाता है। चैत्र अमावस्या तिथि की समाप्ति के बाद चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि आती है जो हिन्दू वर्ष का पहला दिन होता है। कहते हैं चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन ही ब्रह्मा जी ने इस सृष्टि की रचना की थी। नवरात्र भी हिन्दू नवर्ष की पहली तिथि से प्रारंभ होता है।
अमावस्या का ज्योतिषीय महत्व
अमावस्या तिथि के दिन सूर्य और चंद्रमा एक ही राशि में होते हैं। जहां सूर्य आग्नेय तत्व को दर्शाता है तो वहीं चंद्रमा शीतलता का प्रतीक है। सूर्य के प्रभाव में आकर चंद्रमा का प्रभाव शून्य हो जाता है। इसलिए मन को एकाग्रचित करने का यह कारगर दिन होता है। इसलिए अमावस्या का दिन आध्यात्मिक चिंतन के लिए श्रेष्ठ होता है। अमावस्या को जन्म लेने वाले की कुंडली में चंद्र दोष होता है।
सूर्य को दें अर्घ्य
पदमपुराण के अनुसार, पूजा, तपस्या, यज्ञ आदि से भी श्री हरि को उतनी प्रसन्नता नहीं होती, जितनी कि प्रातः स्नान कर जगत को प्रकाश देने वाले भगवान सूर्य को अर्घ्य देने से होती है। इसलिए पूर्व जन्म और इस जन्म के सभी पापों से मुक्ति और भगवान सूर्य नारायण की कृपा प्राप्त करने के लिए प्रत्येक मनुष्य को नियमित सूर्य मंत्र का उच्चारण करते हुए सूर्य को अर्घ्य अवश्य प्रदान करना चाहिए।
पीपल के वृक्ष में पितरों का वास
माना जाता है कि पीपल के वृक्ष में पितरों का वास होता है। इस दिन पीपल और भगवान विष्णु का पूजन किया जाए तो सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। लक्ष्मी जी की कृपा पाने के लिए इस दिन मीठे जल में दूध मिलाकर चढ़ाएं, क्योंकि इस दिन पीपल के पेड़ पर मां लक्ष्मी का वास माना जाता है। पूजन के बाद पीपल की यथा शक्ति परिक्रमा करके जीवन में आने वाली सभी समस्याएं खत्म होने के लिए प्रार्थना करें।
दान करने से मिलता है पुण्य
श्री सोमेश्वर महादेव मंदिर के पंडित भगवान सहाय ( मदन ) शर्मा ने बताया कि इस दिन अन्न, दूध, फल, चावल, तिल और आवंले का दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। गरीबों, साधु, महात्मा तथा ब्राह्मणों को भोजन करवाना चाहिए। स्नान- दान आदि के अलावा इस दिन पितरों का तर्पण करने से परिवार पर पितरों की कृपा बनी रहती है।
इन बातों का रखें ध्यान
श्री सोमेश्वर महादेव मंदिर के पंडित भगवान सहाय ( मदन ) शर्मा ने बताया कि सोमवती अमावस्या के दिन सुबह उठकर स्नान करना चाहिए। इस दिन देर तक सोने से अशुभता आती है। अमावस्या के दिन पीपल के वृक्ष की पूजा करनी चाहिए। इस दिन पितरों का तर्पण करना शुभ फलकारी होता है। कहते हैं कि इस दिन शुद्ध सात्विक भोजन का भोग लगाना चाहिए। कहते हैं कि ऐसा करने से पितर तृप्त होते हैं और उनका आशीर्वाद मिलता है। सोमवती अमावस्या के दिन दान करना शुभ होता है। अमावस्या के दिन वाद-विवाद से बचना चाहिए।
आज करें ये उपाय
ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि अमावस्या के दिन स्नान-दान का विशेष महत्त्व होता है। इस दिन शांत रहकर स्नान करने से हजार गौदान के बराबर फल मिलता है। इस दिन पीपल और भगवान विष्णु की पूजा तथा उनकी 108 प्रदक्षिणा करने का विधान है। मान्यता है कि ऐसा करने से संतान निरोगी व चिरंजीवी होती है। इस दिन तुलसी की 108 परिक्रमा करने से दरिद्रता मिटती है। सोमवती अमावस्या के दिन सुहागिनें अपने पतियों की लंबी उम्र के लिए व्रत रखकर पीपल की पूजा करती हैं। इसके बाद धान, पान व खड़ी हल्दी को मिला कर उसे विधानपूर्वक तुलसी पर अर्पित करना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार, सोमवती अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने वाला व्यक्ति समृद्ध, स्वस्थ्य होता है। इस दिन तीर्थ तट पर पितृओं के पिण्ड दान व तर्पण करने से पितृश्राप व पितृदोष से मुक्ति मिलती है।
ना करें ये काम
श्री सोमेश्वर महादेव मंदिर के पंडित भगवान सहाय ( मदन ) शर्मा ने बताया कि सोमवती अमावस्या के दिन भूलकर भी तामसिक भोजन जैसे मांस, मदिरा, अंडा, प्याज, लहसुन इनका प्रयोग न करें। घर में लड़ाई-झगड़ा नहीं करें। झगड़े और विवादों से बचना चाहिए। झूठ न बोलें और किसी को कड़वे वचन न कहें, घर के बुजुर्ग लोगों का भूलकर भी अपमान न करें। आज के दिन शरीर पर तेल नहीं लगाना चाहिए, तेल मालिश नहीं करें। ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। आज के दिन नहाते समय और नहाने से पहले तक कुछ न बोलें, हो सके तो आज के दिन कुछ समय के लिए मौन धारण अवश्य करें।
(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)
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