Somvati Amavasya in December 2020: मार्गशीर्ष सोमवती अमावस्या तिथि, शुभ मुहूर्त और उपाय

Somvati Amavasya in December 2020: मार्गशीर्ष सोमवती अमावस्या तिथि, शुभ मुहूर्त और उपाय
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Somvati Amavasya in December 2020: यह अग्रेजी कलेंडर का अंतिम और हिन्दू कलेंडर के अनुसार मार्गशीर्ष का महीना है। यह माह को जप, तप, दान और ध्यान आदि के लिए उत्तम मास माना जाता है। इस माह में किए गए मांगलिक कार्य विशेष फलदायी होते हैं।

Somvati Amavasya in December 2020: यह अग्रेजी कलेंडर का अंतिम और हिन्दू कलेंडर के अनुसार मार्गशीर्ष का महीना है। यह माह को जप, तप, दान और ध्यान आदि के लिए उत्तम मास माना जाता है। इस माह में किए गए मांगलिक कार्य विशेष फलदायी होते हैं। कहा जाता है कि इस महीने में चंद्रमा से अमृत तत्व की प्राप्ति होती है। पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष माह में 14 दिसंबर यानि सोमवार का दिन बहुत ही शुभ है क्योंकि इस दिन अमावस्या है और यह सोमवती अमावस्या होगी। जोकि बहुत ही महत्वपूर्ण और दुर्लभ संयोग माना जाता है। अमावस्या तिथि पितृों के तर्पण, स्नान, दान और सुख-समृद्धि के उपायों की दृष्टि से भी खास होती है। इस बार यह तिथि बहुत ही शुभ फल प्रदान करने वाली होगी। ऐसे में हम सभी को इस तिथि का लाभ जरुर लेना चाहिए। सोमवती अमावस्या के दिन इस साल का आखिरी सूर्य ग्रहण भी है। जोकि भारत में नहीं दिखाई देगा। और भारत में इसका सूतक काल भी मान्य नहीं होगा। पंचांग के अनुसार ग्रहण के बाद सूर्य अपनी राशि बदलकर वृश्चिक राशि से निकलकर धनु राशि में प्रवेश कर जाएंगे। इसे धनु संक्रांति भी कहा जाता है। ज्योतिषीय गणना के आधार पर 14 दिसंबर को लगभग 57 सालों के बाद पंचग्रही युक्ति योग भी बनेगा। जिसमें की वृश्चिक राशि में सूर्य, चंद्र, बुध, शुक्र, केतु की युति होगी। सोमवती अमावस के शुभ पर पांच ग्रहों का एक साथ होना दान, पुण्य, अनुष्ठान, जप, तप और उपाय के लिए बहुत ही खास है।

मार्गशीर्ष अमावस्या तिथि शुभ मुहूर्त

मार्गशीर्ष अमावस्या तिथि: 14 दिसंबर, दिन सोमवार

मार्गशीर्ष अमावस्या तिथि प्रारंभ: 14 दिसंबर, दिन सोमवार प्रात: 12:44 बजे से।

मार्गशीर्ष अमावस्या तिथि समाप्त: 14 दिसंबर, दिन सोमवार रात्रि 09:46 बजे।

मार्गशीर्ष अमावस्या तिथि के उपाय

  • सबसे पहले मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन किसी पवित्र नदी या फिर अपने घर पर ही गंगाजल मिलाकर पानी से सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें। और इसके बाद सूर्यदेव और तुलसी माता को जल अर्पण करने के बाद गायत्री मंत्र का उच्चारण करें। साथ ही पितृों के निमित्त भी किसी हरे-भरे पेड़ अथवा पौधे में जल दें। आज के दिन पितृों के निमित्त दिया गया अर्घ्य उन तक जरुर पहुंचता है। और उन्हें तृप्ति मिलती है।
  • ऐसी मान्यता है कि सोमवती अमावस्या के दिन पीपल के वृक्ष में साक्षात भगवान शिव का वास होता है। इसलिए सोमवती अमावस्या के दिन विशेषकर सुहागन महिलाएं और कुंवारी कन्याएं यदि प्रात:काल स्नान के बाद पीपल के वृक्ष की पूजा कर पीपल के वृक्ष पर दूध, दही,रोली, चंदन, अक्षत चढ़ाएं और इसके बाद पीपल के चारों ओर 108 बार लाल रंग का कच्चा सूत लेपटते हुए परिक्रमा करें तो इससे उन्हें अखंड सौभाग्य और सुखी जीवन की प्राप्ति होगी। और भगवान शिव का भी आशीर्वाद मिलता है।
  • सोमवती अमावस्या के दिन स्नान के जल में चुटकी भर हल्दी डालकर स्नान करें। इससे कार्यों में सफलता के योग बनते हैं। साल में एक या दो बार आने वाली सोमवती अमावस्या की तिथि के दिन गाय को हरा चारा और गुड़ खिलाएं। इससे पितृों की आत्मा को शांति मिलती है। और घर में सुख, समृद्धि आती है।
  • अमावस्या तिथि पर तुलसी को हल्दी चढ़ाई जाती है। अमावस्या के दिन तुलसी को जल देने वाले लोटे में एक चुटकी हल्दी डालकर जल अर्पण करें तो इससे भगवान विष्णु जल्दी ही प्रसन्न होते हैं। और आपकी मनोकामना पूरी करते हैं।
  • सोमवती अमावस्या के दिन गणपति जी को एक सुपारी चढ़ा दें। इससे आपके धन-धान्य में वृद्धि होती है।

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