भगवान शिव का ऐसे लगाए ध्यान, मिलेगा आशीर्वाद

भगवान शिव का ऐसे लगाए ध्यान, मिलेगा आशीर्वाद
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भगवान शिव त्रिदेवों में एक ऐसे देव हैं जो अपने भक्तों की पुकार सुनकर जल्दी ही प्रसन्न हो जाते हैं। तो आइए जानें कैसे करें भगवान शिव का ध्यान और पूजन।

भगवान शिव त्रिदेवों में एक ऐसे देव हैं जो अपने भक्तों की पुकार सुनकर जल्दी ही प्रसन्न हो जाते हैं। तो आइए जानें कैसे करें भगवान शिव का ध्यान और पूजन।

सृष्टि की रचना, पालन और संहार करने वाले तीनों देवों में केवल भगवान शिव ही ऐसे देव हैं जो अपने भक्तों पर सजह ही प्रसन्न होते हैं, उन्हें देवों के देव महादेव भी कहते हैं। वह अनंत हैं, अविनाशी हैं।

भगवान शिव की भौतिक पूजा के बारे में आपने देखा-सुना होगा, लेकिन आज हम भगवान शिव की मानसिक पूजा के बारे में बताने जा रहे हैं। मन में भगवान शिव के अनुपम स्वरूप का ध्यान करते हुए भगवान शिव की मानसिक पूजा करनी चाहिए। भगवान शिव की मानसिक पूजा एक भावनात्मक प्रस्तुति है शिव मानस पूजा।

हम बिना किसी साधन और सामग्री के भगवान शिव का पूजन संपन्न कर सकते हैं। वास्तव में मानसिक पूजा को शास्त्रों में श्रेष्ठतम पूजा के रूप में स्वीकार किया गया है। भगवान शिव मानस पूजा को सुंदर-समृद्ध कल्पना से करने पर अत्यंत प्रसन्न होते हैं। मानसिक रूप से चढ़ाई हर सामग्री को प्रत्यक्ष मानकर भगवान शिव अपने भक्तों को आशीर्वाद देते हैं।

भगवान शिव की भौतिक जरूर करनी चाहिए, लेकिन उसके साथ ही उनकी मानसिक पूजा भी की जाए तो भक्त और भगवान के बीच एक अटूट संबंध स्थापित हो जाता है, जोकि भक्ति के मार्ग को सहज बनाता है। भौतिक पूजा के साथ ही मानसिक पूजा करने से अनुभूतियों का दौर शुरू होता है, जोकि भक्त को अनंत आनंद के समीप ले जाता है। आदिगुरु शंकराचार्य के रचे गए इस स्त्रोत में भगवान की ऐसी पूजा है, जिसमें भक्त किसी भौतिक वस्तु को अर्पित किए बिना भी, मन से अपनी पूजा पूर्ण कर सकता है। आदि गुरू शंकराचार्य रचित शिव मानस पूजा, भगवान शिव की एक अनुठी स्तुति है।

ऐसे करें ध्यान

भगवान शिव सपरिवार और शिव गणों समेत कैलाश पर्वत पर विराजमान हैं। भगवान शिव का रक्ताभ सुंदर गौरवर्ण हैं। भगवान शिव मृगछाला पर आसीन हैं। भगवान शिव के चार भुजाएं हैं। दाहिना हाथ ऊपर का ज्ञान मुद्रा का है, दाहिने नीचे के हाथ में फरसा है। बायां ऊपर का हाथ मृगमुद्रा से सुशोभित है और नीचे का हाथ जानु पर रखे हुए हैं। गले में रुद्राक्ष की माला है। गले में ही काले नाग लिपटे हुए हैं। कानों में कुण्डल सुशोभित हैं। ललाट पर त्रिपुण्ड्र शोभा पा रहा है, भगवान शिव के सुंदर तीन नेत्र हैं।

नेत्रों की दृष्टि नासिका पर लगी हुई हैं। मस्तक पर अर्धचंद्र है। सिर पर जटाजूट सुशोभित है। अत्यन्त प्रसन्न मुख है। देवता और ऋषिगण भगवान भोलेनाथ की स्तुति कर रहे हैं। बड़ा ही सुंदर विज्ञानानंदमय स्वरूप है भगवान शिव का। शिव मानस पूजा कृपा का दिव्य साक्षात्‌ प्रसाद मनुष्य को निरंतर ग्रहण करते रहने की आवश्यकता है।

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