Sunday Special : अहार एक ऐसा स्थान जहां भगवान श्रीकृष्ण ने रोपे थे प्रेम के अंकुर, जानें उनके विवाह की अनुपम दास्तान

Sunday Special : अहार एक ऐसा स्थान जहां भगवान श्रीकृष्ण ने रोपे थे प्रेम के अंकुर, जानें उनके विवाह की अनुपम दास्तान
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Sunday Special : बुलंदशहर जिले में एक ऐसा स्थान भी हैं जहां भगवान श्रीकृष्ण ने प्रेम के अंकुर रोपे थे। यह एक ऐसा स्थान है जहां आज भी ना तो कोई गांव है और ना ही को शहर बल्कि यहां आज भी निर्जन जंगल है। जोकि गंगा नदी के तट पर स्थित है। इस स्थान को अवंतिका देवी मंदिर के नाम से जाना जाता है। यह स्थान भगवान श्रीकृष्ण की महारानी रुक्मिणी जी की जन्मस्थली के रुप में भी जाना जाता है।

Sunday Special : बुलंदशहर जिले में एक ऐसा स्थान भी हैं जहां भगवान श्रीकृष्ण ने प्रेम के अंकुर रोपे थे। यह एक ऐसा स्थान है जहां आज भी ना तो कोई गांव है और ना ही को शहर बल्कि यहां आज भी निर्जन जंगल है। जोकि गंगा नदी के तट पर स्थित है। इस स्थान को अवंतिका देवी मंदिर के नाम से जाना जाता है। यह स्थान भगवान श्रीकृष्ण की महारानी रुक्मिणी जी की जन्मस्थली के रुप में भी जाना जाता है। पौराणिक काल में यहां कुंडिनपुर नामक नगर था। जहां के राजा भीष्मक थे । उनके कई पुत्र और एक पुत्री थी। राजा भीष्मक की प्रिय पुत्री का नाम रुक्मिणी था। जोकि भगवान श्रीकृष्ण से प्रेम करती थीं। कहा जाता है कि यहीं से भगवान श्रीकृष्ण ने देवी रुक्मिणी का हरण किया था।

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वहीं अवंतिका देवी और रुक्मिणी कुंड के बारे में एक पौराणिक कथा भी है। जोकि भगवान श्रीकृष्ण और रुक्मिणी जी के संबंध में है। किवदंतियों के अनुसार, बुलंदशहर के अहार क्षेत्र का संबंध महाभारत कालीन कुंडिनपुर नामक नगर से है। उस दौरान यहां के राजा भीष्मक का यह प्रसिद्ध नगर राजधानी के रुप में मशहूर था। राजा भीष्मक पांच पुत्रों और एक बहुत सुन्दर कन्या के पिता थे।


अवंतिका देवी से पति रुप में मांगे थे श्रीकृष्ण

देवी रुक्मिणी अवंतिका देवी मंदिर के पास ही स्थित रुक्मिणी कुंड में प्रतिदिन स्नान किया करती थीं और माता अवंतिका देवी का पूजन कर भगवान श्रीकृष्ण को पति के रुप में प्राप्त करने की प्रार्थना किया करती थीं।


वहीं धरती पर जितने भी शक्तिपीठ हैं वे सभी माता सती जी के अंग हैं, परन्तु अवंतिका देवी शक्तिपीठ माता सती जी के अंग नहीं, बल्कि यहां माता भगवती स्वयं साक्षात रुप में प्रकट हुईं थी। इस मंदिर में दो प्रतिमाएं हैं एक मां भगवती जगदंबा (अवंतिका देवी) भवानी और दूसरी माता सती जी की स्थापित हैं। यहां मां भगवती अवंतिका देवी को वस्त्रादि पोशाक नहीं चढ़ाई जाती, बल्कि सिन्दूर, घी और चोला अर्पित किया जाता है।


यहां मां भगवती अवंतिका देवी को जो भी श्रद्धालु सिन्दूर, घी और चोला आदि अर्पित करते हैं मां उनकी मनोकामना जरुर पूर्ण करतीं हैं। मान्यता है कि, दंवी रुक्मिणी ने भी भगवान श्रीकृष्ण को पति रुप में पाने के लिए माता का ऐसे ही पूजन किया था और कालांतर में इसी मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण और देवी रुक्मिणी का विवाह संपन्न हुआ।


श्रीकृष्ण को रुक्मिणी ने बुलाया था यहां

देवी रुक्मिणी के पिता और भाई उनका विवाह चेदि नरेश शिशुपाल से करना चाहते थे, जबकि, रुक्मिणी जी भगवान श्रीकृष्ण को अपना पति मान चुकी थी। इसी कारण उन्होंने एक ब्राह्मण के द्वारा संदेश भेजकर श्रीकृष्ण को यहां बुलाया था। रुक्मिणी जी का प्रेम संदेश स्वीकार कर भगवान श्रीकृष्ण ने इसी अवंतिका देवी मंदिर से उनका हरण कर प्रेम विवाह कर लिया था।

(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)

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