Sunday Special : काशी जमीन पर नहीं, महादेव के त्रिशूल के ऊपर है, जानें क्या है इसकी सच्चाई

Sunday Special : काशी जमीन पर नहीं,  महादेव के त्रिशूल के ऊपर है, जानें क्या है इसकी सच्चाई
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  • पौराणिक काल से ही काशी को शिव की नगरी के नाम से जाना जाता है।
  • यहां स्थित काशी विश्‍वनाथ मंदिर जोकि भगवान शिव को समर्पित है।

Sunday Special : काशी जिसे बनारस भी कहा जाता है, यह बहुत प्राचीन आद्यात्मिक स्थान है। काशी का इतिहास बहुत ही प्राचीन है। हिन्दू धर्मग्रंथों के मुताबिक काशी भगवान शिव के त्रिशूल पर स्थित है। जिस प्रकार मानव शरीर में नाभि का महत्व होता है, वैसे ही मृत्युलोक में वाराणसी का महत्वपूर्ण स्थान है और साक्षात भगवान शिव ने इसे अपने त्रिशूल पर धारण किया हुआ है।


काशी को हिन्दू धर्म में एक पवित्र स्थान माना गया है और इसे अविमुक्त क्षेत्र कहा जाता है। इसके अलावा बौद्ध एवं जैन धर्म में भी यह एक महत्वपूर्ण शहर है। यह स्थान हजारों वर्षों से भारत का, विशेषकर उत्तर भारत का सांस्कृतिक एवं धार्मिक केन्द्र रहा है।


पवित्र नदी गंगा के किनारे स्थित इस शहर का बहुत ही अधिक धार्मिक महत्‍व है। यहां स्थित काशी विश्‍वनाथ मंदिर जोकि भगवान शिव को समर्पित है। इसे बारह ज्‍योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है। इस मंदिर में प्रतिदिन हजारों लोग यहां पवित्र ज्‍योतिर्लिंग के दर्शन करने के लिए आते हैं।


वहीं धार्मिक महत्‍व के अलावा भगवान शिव का यह मंदिर वास्‍तुकला की दृष्टि से भी अनुपम है। इस मंदिर का भव्‍य प्रवेश द्वार देखने वाले लोगों की दृष्टि में मानो बस जाता है। ऐसा कहा जाता है कि एक बार इंदौर की रानी अहिल्‍या बाई होलकर के स्‍वप्‍न में भगवान शिव आए। वे भगवान शिव की परम भक्‍त थीं और इसलिए उन्‍होंने 1777 में इस मंदिर का निर्माण कराया।


विश्‍वनाथ खंड को प्राचीन शहर भी कहा जाता है जो दशाश्‍व मेधघाट और गोदुलिया के बीच मणिकर्णिका घाट के दक्षिण और पश्चिम तक नदी की उत्तर दिशा में वाराणसी के मध्‍य स्थित है। यहां अनेक मठ और लिंग प्रत्येक जगह दिखाई देते हैं और यहां धार्मिक यात्रियों, पंडों की गतिविधियां तथा भक्‍तों को मंदिर में अर्पित करने की सामग्री की दुकानें बड़ी संख्‍या में हैं।


विश्‍वनाथ मंदिर के शिखर पर स्‍वर्ण जड़ा होने के कारण इसे स्‍वर्ण मंदिर भी कहा जाता है। मंदिर परिसर के अंदर, जो एक दीवार के पीछे छुपा है और यहां एक अत्‍यंत अनोखे प्रकार के द्वार से पहुंचा जाता है, जो भारत का सबसे महत्‍वपूर्ण शिवलिंग है और यह चिकने काले पत्‍थर से बना हुआ है और इसे ठोस चांदी के आधार में रखा गया है। महाकाल और दण्‍ड पाणी के क्रुद्ध संरक्षकों के आश्रम और अविमुक्‍तेश्‍वर के लिंग भी इस मंदिर के संकुल में हैं।


वाराणसी एक ऐसा स्‍थान कहा जाता है जहां संसार का प्रथम ज्‍योतिर्लिंग स्थित है। शिव द्वारा प्रकाश के उज्‍जवल स्‍तंभ से अन्‍य देवाओं पर उनकी श्रेष्‍ठता प्रदर्शित होती है जो पृथ्‍वी की पर्त तोड़ कर निकली और स्‍वर्ग की ओर इसकी ज्‍वाला गई। यहां घाटों और गंगा नदी के अलावा मंदिर में स्‍थापित शिव लिंग वाराणसी का धार्मिक आकर्षण बना हुआ है।

(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi।com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)

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