Sunday Special: नर्मदा नदी के प्रत्येक पत्थर में विराजमान हैं भोलेनाथ, जानें इसकी पौराणिक कथा

Sunday Special: पौराणिक काल में एक बार नर्मदा जी ने बहुत कठोर तपस्या करके भगवान परमपिता ब्रह्मा को प्रसन्न किया। ब्रह्मा जी ने प्रकट होकर नर्मदा जी से वरदान मांगने को कहा। नर्मदा जी परमपिता ब्रह्मा जी से कहा कि हे भगवन! यदि आप मेरी तपस्या से संतुष्ट हैं और आप मुझ पर प्रसन्न हैं तो मुझे गंगा जी के समान होने का वरदान दीजिए।
नर्मदा जी की बात सुनकर ब्रह्मा जी बोले कि, अगर कोई अन्य देवता भगवान शिव की बराबरी कर ले अथवा कोई अन्य पुरुष भगवान श्रीहरि विष्णु के समान हो जाए। तथा कोई दूसरी नारी पार्वती जी की समानता कर ले और कोई दूसरी नगरी काशीपुरी की बराबरी कर सके तो कोई दूसरी नदी भी गंगा के समान हो सकती है।
ब्रह्म वाक्य सुनकर नर्मदा जी काशी चली गयीं और वहां पिलपिलातीर्थ में शिवलिंग की स्थापना करके तपस्या करने लगीं। भगवान शिव नर्मदा जी पर बहुत प्रसन्न हुए और उनके समक्ष प्रकट होकर वरदान मांगने के लिए कहा।
नर्मदा जी ने भगवान शिव से कहा हे भगवन्! मुझे आपके चरणकमलों की भक्ति चाहिए।
नर्मदा जी की इच्छा जानकर भगवान शिव प्रसन्न हुए और बोले हे नर्मदे! तुम्हारे तट पर जितने भी पत्थर हैं, वे सब शिवलिंगरूप हो जाएंगे। गंगा में स्नान करने पर शीघ्र ही पाप का नाश होता है, यमुना सात दिन के स्नान से और सरस्वती तीन दिन के स्नान से सब पापों का नाश करती हैं परन्तु तुम्हारे दर्शनमात्र से सम्पूर्ण पापों का निवारण हो जाएगा।
तुमने जिस नर्मदेश्वर शिवलिंग की स्थापना की है, वह भविष्य में पुण्य और मोक्ष को प्रदान करने वाला होगा और ऐसा कहकर भगवान शिव उसी लिंग में विलीन हो गए। इसलिए ऐसा माना जाता है कि नर्मदा का हर कंकर शिव शंकर है।
(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi।com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)
© Copyright 2025 : Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS
-
Home
-
Menu
© Copyright 2025: Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS