Sunday Special: कैलाश पर्वत अनेक विशेषताओं का उद्गम स्थल, जानें यहां की ये अनोखी बात

Sunday Special: कैलाश पर्वत अनेक विशेषताओं का उद्गम स्थल, जानें यहां की ये अनोखी बात
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Sunday Special: पौराणिक हिन्दू सनातन धर्म और ग्रंथों के मुताबिक, कैलाश पर्वत को भगवान भोलेनाथ का मुख्य आवास कहा जाता है। वैसे तो सारी सृष्टि ही शिवमय है, लेकिन कैलाश के कण-कण में भगवान शिव की विशेष अनुभूति देखने को मिलती है। वहीं कैलाश पर्वत अनेक विशेषताओं का उद्गम स्थल है। तो आइए जानते हैं भगवान भोलेनाथ के घर कैलाश पर्वत की विशेषतओं के बारे में...

Sunday Special: पौराणिक हिन्दू सनातन धर्म और ग्रंथों के मुताबिक, कैलाश पर्वत को भगवान भोलेनाथ का मुख्य आवास कहा जाता है। वैसे तो सारी सृष्टि ही शिवमय है, लेकिन कैलाश के कण-कण में भगवान शिव की विशेष अनुभूति देखने को मिलती है। वहीं कैलाश पर्वत अनेक विशेषताओं का उद्गम स्थल है। तो आइए जानते हैं भगवान भोलेनाथ के घर कैलाश पर्वत की विशेषतओं के बारे में...

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कैलाश पर्वत को पृथ्वी का केंद्र माना जाता है। पृथ्वी के एक ओर उत्तरी ध्रुव है, तो दूसरी ओर दक्षिणी ध्रुव और वहीं इन दोनों ही ध्रुवों के बीचोबीच पर्वतराज हिमालय स्थित है। वहीं कैलाश पर्वत हिमालय पर्वत का केंद्र माना जाता है। वैज्ञानिकों के अनुसार, कैलाश पर्वत को ही धरती का केंद्र बिन्दु माना जाता है। वहीं आध्यात्मिक दृष्टि से भी कैलाश पर्वत हिन्दू, जैन, बौद्ध और सिख धर्म का केंद्र भी है।

कैलाश पर्वत एक ऐसा केंद्र है जिसे दुनिया की नाभि कहा जा सकता है। कैलाश पर्वत ही आकाशीय ध्रुव और भौगोलिक ध्रुव का केंद्र कहा जाता है। वहीं कैलाश पर्वत को आकाश और धरती के बीच संबंध का एक बिंदु भी माना जाता है, पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कैलाश में ही दसों दिशाएं आपस में मिल जाती हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार, यह वह स्थान है, जहां अलौकिक शक्ति का प्रवाह निर्बाध रुप से होता रहता है, वहीं आप उन शक्तियों का कैलाश में अनुभव भी कर सकते हैं।

कैलाश पर्वत पर दो सरोवर स्थित हैं। पहला, मानसरोवर जो दुनिया की शुद्ध पानी की उच्चतम झीलों में से एक है और जिसका आकार सूर्य के समान है। दूसरी सरोवरको राक्षस झील के नाम से जाना जाता है, जो दुनिया की खारे पानी की उच्चतम झीलों में से एक है और जिसका आकार चन्द्र के समान है। ये दोनों झीलें सौर और चन्द्र बल को प्रदर्शित करती हैं जिसका संबंध सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा से है। जब दक्षिण से देखते हैं तो एक स्वस्तिक चिह्न वास्तव में देखा जा सकता है। यह अभी तक रहस्य है कि ये झीलें प्राकृतिक तौर पर निर्मित हुईं या कि ऐसा इन्हें बनाया गया।

अगर आप कैलाश पर्वत या मानसरोवर झील में कभी भ्रमण के लिए जाएंगे, तो आपको वहां पर लगातार एक विशेष प्रकार की ध्वनि सुनाई देगी। ध्यान से सुनने पर यह ध्वनि 'डमरू' या 'ॐ' की ध्वनि जैसी होती है। वैज्ञानिक कहते हैं कि हो सकता है कि यह आवाज बर्फ के पिघलने की हो। यह भी हो सकता है कि प्रकाश और ध्वनि के बीच इस तरह का समागम होता है कि यहां से 'ॐ' की आवाजें सुनाई देती हैं।

कैलाश पर्वत एक विशालकाय पिरामिड है, जो 100 छोटे पिरामिडों का केंद्र है। कैलाश पर्वत की संरचना कम्पास के 4 दिक् बिंदुओं के समान है और एकांत स्थान पर स्थित है, जहां कोई भी बड़ा पर्वत नहीं है।

वहीं कैलाश पर्वत को लेकर यह भी दावा किया जाता है कि, कभी-कभी कैलाश पर्वत पर सात प्रकार की लाइटें आसमान में चमकती हुई दिखाई देती हैं। नासा के वैज्ञानिकों का ऐसा मानना है कि हो सकता है कि ऐसा यहां के चुम्बकीय बल के कारण होता हो। यहां का चुम्बकीय बल आसमान से मिलकर कई बार इस तरह की चीजों का निर्माण कर सकता है।

(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)

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