Sunday Special : साल में केवल एक दिन खुलता है यह रहस्मयी मंदिर, जानें कंकाली माता के शस्त्रागार और तालाब में स्थित शिवलिंग के ये गुप्त रहस्य

- जानें, कंकाली माता का शस्त्रागार कहां से बरामद हुआ।
- जानें, क्यों साल में एक ही दिन खुलता है कंकाली माता का शस्त्रागार
- जानें, कंकाली तालाब में स्नान करने से क्यों दूर हो जाता है चर्मरोग
Sunday Special : भारत में मां काली का एक रहस्यमयी मंदिर है, जो साल में सिर्फ एक दिन खुलता है। इस मंदिर को भयानक श्मशान के ऊपर बनाया गया है। इस मंदिर में स्थापित मां काली की प्रतिमा को कुछ रहस्मयी नागा साधुओं ने स्थापित किया था।
वहीं इस मंदिर के सामने एक तालाब है। जहां पानी के लगभग तीस फिट नीचे एक रहस्मयी शिवलिंग मौजूद है। उनके दर्शन के लिए अनेक बार तालाब से पानी निकाला गया, लेकिन शिवलिंग के दर्शन नहीं हो पाए हैं। वहीं इस मंदिर से जुड़े इतने सारे रहस्य हैं जिन्हें सुनकर आपके होश उड़ जाएंगे। तो आइए जानते हैं कंकाली माता के मंदिर के बारे में।
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छत्तीसगढ की पुरानी बस्ती में कंकाली तालाब है। जहां कंकाली माता का भव्य मंदिर भी स्थित है। बताया जाता है कि लगभग 600 साल पहले तक ये स्थान जोकि आज पूरी तरह से भरा हुआ है, बिलकुल वीरान जंगल और श्मशान हुआ करते थे। इस स्थान पर तंत्रमंत्र करने वाले नागा साधुओं ने यहां पर कंकाली माता के मंदिर और शिवलिंग का निर्माण करवाया था।
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कहते हैं कि आज से करीब 700 साल पहले इस स्थान पर नागा साधुओं ने डेरा डालकर मठ की स्थापना की थी। वे मां कंकाली के परम भक्त थे। उसके बाद इस मंदिर के महंत कृपाल जी महाराज को मां कंकाली ने स्वप्न में दर्शन देकर वहां से कुछ ही दूरी पर मंदिर निर्माण करने की आज्ञा दी। वहीं लगभग 650 साल पहले मंदिर का निर्माण पूरा हुआ था और मठ से स्थानांतरित करके मां कंकाली की प्रतिमा मंदिर में प्रतिस्थापित की गई।
प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा के महंत कृपालु जी महाराज कोकंकाली देवी ने साक्षात कन्या के रूप में दर्शन दिए, लेकिन महंत जी उनको पहचान नहीं पाए और उनका उपहास करने लगे। जिससे वो कन्या रुपी देवी एकदम से अदृश्य हो गई। तब महंत जी को अपनी गलती का अहसास हुआ और वर्तमान कंकाली मंदिर के बाजू में ही जीवित समाधि ले ली। ये जीवित समाधि आप आज भी यहां पर देख सकते हैं।
इस मंदिर में भारी मात्रा में अस्त्र और शस्त्र मौजूद हैं। वहीं लोग यहां पर माता के सामने माथा टेकते हैं और पुराने अस्त्र-शस्त्रों के दर्शन करते हैं।
कहा जाता है कि जहां पर मां कंकाली की प्रतिमा मिली थी, उसी स्थान पर ये अस्त्र और शस्त्र निकले थे। वहीं यह भी कहा जाता है कि उस स्थान से इतने अस्त्र और शस्त्र निकलने के कारण ही वहां पर यह तालाब बन गया। ये तालाब मां कंकाली के मंदिर के ठीक सामने स्थित है।
कहा यह भी जाता है कि जब भगवान राम और रावण का युद्ध हो रहा था तब देवी युद्ध के मैदान में प्रकट हुई थीं और श्रीराम को अस्त्रों और शस्त्रों से सुसज्जित किया था। बस इसी महत्ता के चलते इनके शस्त्रागार का महत्व बढ जाता है और भक्तजन इनके दर्शन करने के लिए दूर-दूर से आते हैं। वहीं ये शस्त्रागार केवल दशहरा के दिन ही खुलता है। क्योंकि इसी दिन भगवान श्रीराम ने रावण का वध किया था।
वहीं ऐसी मान्यता है कि जिन नागा साधुओं ने कंकाली माता मंदिर की स्थापना की थी उन्होंने ही यहां के शिवलिंग की स्थापना भी की थी। काफी समय तक इस मंदिर में नागा साधु भगवान शिव और कंकाली माता की पूजा-अर्चना करने आते थे। पर अचानक यहां पर ऐसा चमत्कार हुआ कि धरती से पानी की धारा फूट पड़ी और पूरा का पूरा शिव मंदिर पानी में डूब गया। तथा इस स्थान ने तालाब का रुप ले लिया।
इसके बाद कई बार पानी को निकाल कर लोगों के लिए भगवान के दर्शन करने की कोशिश की गई, परन्तु आज तक इस मंदिर का पानी कभी नहीं सूखा। जबकि गर्मियों के मौसम में यहां के सभी तालाब और कुंए सूख जाते हैं, लेकिन ये चमत्कारी कंकाली तालाब हमेशा की तरह पानी से लबालब भरा रहता है। इसी कारण आज तक कोई भी इस तालाब में डूबे हुए मंदिर के दर्शन नहीं कर पाया है।
कहते हैं कि कंकाली तालाब में उस समय इतना अधिक मृत अस्थि और कंकाल का विसर्जन किया गया था कि हड्डी के फास्फोरस का अंश घुलते रहने के कारण इस तालाब के पानी में स्नान करने पर चर्म रोग को दूर करने का प्रभाव आ गया, ऐसा विश्वास अभी भी श्रद्धालु लोगों के मन में है। इसीलिए दूर-दूर से चर्मरोगी इस तालाब में स्नान करके मां कंकाली देवी के दर्शन करते हैं और स्वस्थ होकर अपने घर लौटते हैं।
(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)
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