Sunday Special: क्षीरेश्वर नाथ मंदिर में होती हैं मनोकामना पूरी, जानें यहां क्यों राम नाम के बिल्वपत्र स्वीकारते हैं महादेव

Sunday Special: क्षीरेश्वर नाथ मंदिर का मंदिर अयोध्या में कुबेर टीले के सामने स्थित है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार राजा दशरथ ने संतान प्राप्ति के लिए क्षीरेश्वर नाथ मंदिर का मंदिर में भगवान शिव की पूजा की थी और यहां स्थित शिवलिंग पर दूध से अभिषेक किया था। मान्यता है कि उनके द्वारा शिवलिंग पर चढ़ाए गए दूध से एक धारा बह निकली जोकि आगे चलकर सागर में विलीन हो गई। मान्यता है कि, तभी से इस मंदिर का नाम क्षीरेश्वर नाथ पड़ गया। मान्यता है कि इस मंदिर में शिव का अभिषक करने पर कर्ज, रोग, शोक आदि सांसारिक बंधनों से मुक्ति मिलती है।
ये भी पढ़ें: Maha Shivratri 2022: महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर जल के साथ चढ़ा दें ये चीज, महादेव हो जाएंगे प्रसन्न
क्षीरेश्वर नाथ मंदिर शिवलिंग पर अभिषेक करने के परंपरा पौराणिक काल से ही चली आ रही है। शिवभक्त यहां सरयू के जल और दूध से अभिषेक करते हैं और मान्यता है कि सरयू के जल और दूध के अभिषेक को यहां महादेव जी तत्काल ही स्वीकार करते हैं और भक्तों की सभी मुराद पूरी करते हैं।
क्षीरेश्वर नाथ मंदिर में कर्ज से पीड़ित लोग भी अपने सिर से कर्ज का भार हल्का करने के लिए मन्नत मांगने आते हैं और शिवलिंग पर दूध से अभिषेक करते हैं। मान्यता है कि, ऐसा करने से लोगों की आर्थिक स्थिति अच्छी हो जाती है और लोगों को सभी प्रकार के ऋण से मुक्ति मिल जाती है।
पौराणिक कथा के अनुसार, जब राजा दशरथ वृद्धावस्था को प्राप्त हो गए और उनके घर में कोई संतान नहीं थी, तब वे यहां मौजूद क्षीरेश्वर नाथ मंदिर में ही महादेव जी की शरण में आए थे और कहा जाता है कि उन्होंने यहां स्थित शिवलिंग पर सपत्नी दूध से अभिषेक किया था। मान्यता है कि, महादेव के आशीर्वाद से ही उन्हें राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न जैसे महाप्रतापी पुत्रों की प्राप्ति हुई।
क्षीरेश्वर नाथ मंदिर में सावन माह और फाल्गुन माह की महाशिवरात्रि के दिन शिव भक्तों की भारी भीड़ जुटती है और अपने आराध्य सदाशिव का अभिषेक करती है। लोगों का यहां इस दौरान तांता लगा रहता है। मान्यता है कि क्षीरेश्वर नाथ मंदिर भगवान शिव को श्रीराम का नाम लिखकर बिल्वपत्र चढ़ाने की परंपरा पौराणिक काल से ही चली आ रही है और कहा जाता है कि, भगवान शिव यहां पर श्रीराम नाम लिखें बिल्वपत्र ही स्वीकार करते हैं और अपने भक्तों के संकट दूर करते हैं।
(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)
© Copyright 2025 : Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS
-
Home
-
Menu
© Copyright 2025: Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS